बिहार NDA नें लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा मुश्किल बना हुआ है। पेंच सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है। खबर की कि महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी भाजपा सहयोगियों को कम सीटें देना चाहती है। खुद भाजपा ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है। महाराष्ट्र की 48 में से 30 से 35 सीटें भाजपा चाहती है। एनडीए के घटक शिवसेना (शिंदे) और अजीत पवार की एनसीपी सिर्फ 13 सीटों पर सहमत नहीं हैं। ही स्थिति बिहार में है। खबरों के मुताबिक भाजपा बिहार की 40 लोकसभा सीटों में 22 पर खुद लड़ना चाहती है। शेष 18 सीटें जदयू, लोजपा के दोनों गुट, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी को देना चाहती है।
मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार में भाजपा नीतीश कुमार की पार्टी को 12-14 सीट से ज्यादा नहीं देना चाहती। 2019 में जदयू को 17 सीटें मिली थीं, जिसमें उसे 16 पर जीत मिली थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विदेश दौरे से पहले दिल्ली में पार्टी नेताओं से मिले। मुलाकात में 17 सीटों पर दावेदारी पेश करने पर सहमति थी। अधिक से अधिक वह एक सीट नीचे आ सकता है। जदयू 16 सीटों से कम पर तैयार नहीं हो रहा।
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उधर लोजपा (आर) को हाजीपुर सीट के अलावा चार सीटें चाहिए। कहा जा रहा है कि भाजपा लोजपा के दोनों गुटों को चार सीट देना चाहती है। इसका अर्थ है कि चिराग पासवान के हिस्से सिर्फ दो सीटें आएंगी, जबकि पिछली बार उन्हें छह सीटें मिली थीं और सभी सीटों पर लोजपा को जीत मिली थी।
उपेंद्र कुशवाहा भी सिर्फ एक सीट पर सहमत नहीं हैं। उन्हें भी कम से कम दो सीटें चाहिए। बिहार एनडीए में जीतन राम मांझी की पार्टी हम एकमात्र पार्टी है, जो नाराज नहीं दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी खुल कर भाजपा के साथ खड़े हैं। उनके बेटे और राज्य सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट में खुद को मोदी का परिवार घोषित कर दिया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिलहाल विदेश दौरे पर चले गए हैं। विदेश में उनके कार्यक्रम की ठोस जानकारी मीडिया को अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। वैसे उनके विदेश से लौटने के बाद ही एक बार फिर से सीटों के बंटवारे पर चर्चा होगी। उधर चिराग पासवान 10 मार्च को वैशाली में शक्ति प्रदर्शन करने जा रहे हैं।