बिहार के एनडीए सांसद शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी से मिलने पहुंचे। वे प्रधानमंत्री को थैंक्स कहने पहुंचे थे। केंद्रीय बजट में बिहार के लिए दी योजनाओं के लिए धन्यवाद कहने पहुंचे, लेकिन केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी थैंक्स कहने नहीं गए। इस अवसर का जो फोटो जारी किया गया है, उसमें मांझी नहीं दिख रहे हैं। वे लगातार इसी साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में पहले से अधिक सीटें दिए जाने की मांग कर रहे हैं। उनकी पार्टी 20 विधानसभा सीटें चाहती हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला है।
भाजपा और एनडीए की कोशिश थी कि बजट में बिहार के लिए जो दिया गया है उस पर माहौल बनाया जाए। बजट के दूसरे दिन तक चर्चा थी, लेकिन उसके बाद चर्चा से बात बाहर हो गई। अब तो मखाना बोर्ड की बात लोग भूल भी गए हैं। दरअसल मखाना बोर्ड, एयरपोर्ट का विकास, आईआईटी का विस्तार से बिहार की मूल समस्याएं हल नहीं हो सकतीं।
जीतनराम मांझी के नहीं जाने से एनडीए ने बिहार में जो माहौल बनाने की कोशिश की, उसे झटका लगा है। अब लगता यही है कि एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं है। भाजपा और जदयू के कारण छोटे दल खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अगर मांझी को चार-पांच विधानसभा सीटों पर समेट दिया गया, तो उनकी पार्टी का भविष्य खत्म हो जाएगी। इतने कम प्रत्यशी देकर वे बिहार की राजनीति में अपने लिए कोई खास जगह नहीं बना सकते। भीतर ही भीतर उपेंद्र कुशवाहा भी परेशान हैं। लोकसभा चुनाव में उन्हें सिर्फ एक सीट दी गई। तब कहा गया था कि आपकी पार्टी को विधानसभा चुनाव में अधिक सीटें दी जाएंगी, लेकिन लगता नहीं है कि उन्हें उनकी ताकत के हिसाब से सीटें दी जाएंगी।
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तेजस्वी यादव ने बजट के बाद कहा था कि बिहार के साथ धोखा किया गया। अतने एनडीए के सांसद जीत कर गए, लेकिन विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज नहीं दिया गया। मखाना बोर्ड बिहार की विकराल समस्याओं को हल नहीं कर सकता।