बिहार में एक लाख शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई, लेकिन आरक्षण में पेंच फंस जाने से हजारों पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित अभ्यर्थियों में चिंता और रोष देखा जा रहा है। बिहार आरक्षण पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी और सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक को जारी रखा। राजद ने कहा कि पिछड़े-दलितों के साथ अन्याय रोकने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की है। वे बिहार आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए प्रधानमंत्री से बात करें।

राजद प्रदेश कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रवक्ता चितरंजन गगन एवं मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बिहार आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करना जदयू की नैतिक जिम्मेदारी है। ज्ञातव्य है कि 1951 में संविधान में किये गये पहले संशोधन में नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया था। इसमें शामिल कानूनों की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है।

नेताओं ने कहा कि तेजस्वी यादव की पहल पर बिहार सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलायी गई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराने की मांग की गई। इसके बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा इस दिशा में कोई पहल नहीं किया गया है। अगस्त, 2022 में बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद प्राथमिकता देते हुए बिहार में जातीय गणना करायी गई। हालांकि भाजपा के अपरोक्ष समर्थन और सहयोग से इसे बाधित करने का भरपूर प्रयास किया गया।

राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि जातीय गणना से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर महागठबंधन सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, इबीसी और ओबीसी के लिए आरक्षण के सीमा को बढ़ाया गया। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की सीमा 16 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 1 से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ी जाति के लिए 18 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 15 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया। इस तरह जाति आधारित आरक्षण की कुल सीमा 50 से बढ़कर 65 हो गई।

राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि महागठबंधन सरकार के समय हुई शिक्षकों सहित अन्य नियुक्तियों में बढ़ाये गये आरक्षण का लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अतिपिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग एवं ईबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को मिला। भाजपा के सहयोग से बढ़ाये गये आरक्षण के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय ने रीट दायर की गई। उच्च न्यायालय द्वारा बढ़ाये गये आरक्षण पर रोक लगा दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन देने से इंकार कर दिया गया।

————-

सदन से निष्कासन के तानाशाही फैसले के खिलाफ राजद का एलान-ए-जंग

————-

इधर लगभग एक लाख शिक्षकों के साथ ही स्वास्थ्य, राजस्व एवं अन्य विभागों में नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थगन देने से इंकार करने के बाद बढ़े हुए आरक्षण सीमा के लाभ से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अतिपिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी वंचित रह जायेंगे। राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस स्थिति में हैं कि वे यदि केन्द्र सरकार पर दबाव बनाते हैं तो बिहार आरक्षण को नौवीं अनुसूचि में शामिल कर लिया जाएगा। संवाददाता सम्मेलन में मदन शर्मा, संजय यादव, निर्भय अम्बेदकर, अभिषेक सिंह एवं पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के विजय कुमार यादव उपस्थित थे।

राजद के सारे पद लालू परिवार को, मुसलमानों को ठन-ठन गोपाल

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427