बिहार विधान परिषद में आज विपक्षी सदस्यों ने उत्तर बिहार में बाढ़ से हुई तबाही को लेकर शोरगुल और हंगामा किया। कार्यकारी सभापति हारून रशीद के आसन ग्रहण करते ही कार्यस्थगन प्रस्ताव के माध्यम से नदियों के तटबंध टूटने से उत्पन्न बाढ़ की विभीषिका पर सदन में चर्चा कराने की मांग की।
श्री मिश्र ने कहा कि पिछले दो दिनों के अंदर राज्य के बड़े भूभाग में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। मधुबनी, सीतामढ़ी, दरभंगा, सुपौल, अररिया, सहरसा, पूर्णिया, किशनगंज, पूर्वी चंपारण और भागलपुर जिले के अधिकांश हिस्सों की स्थिति सबसे खराब है। उन्होंने कहा कि मधुबनी के जयनगर, झंझारपुर के नूर वारगांव और दरभंगा के कैथवारा, गंगौली, कनकपुर समेत कई स्थानों पर तटबंध के टूटने से भारी क्षति हुई है। इसी तरह मोतिहारी में भीतरी बांधों में कई स्थानों पर रिसाव हो रहा है। बाढ़ के कारण 24 लोगों की अब तक मौत के साथ ही जानमाल की भारी क्षति हुई है।
संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने भी कहा कि नियम के तहत सदन में चर्चा होती है तो सरकार को ही कोई आपत्ति नहीं होगी और वह जवाब देने के लिए बाध्य होगी। उन्होंने विपक्ष के सभी सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया । थोड़ी देर बाद विपक्ष के सदस्य शांत हो गए और प्रश्नकाल शुरू हो सका।
प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद सभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने राजद के समीर कुमार महासेठ, मो0 नेमतुल्लाह, नवाज आलम, राजेंद्र कुमार, यदुवंश यादव, ललित यादव और भाकपा माले के सत्यदेव राम के कार्य स्थगन प्रस्ताव को नियमानुसार नहीं पाते हुए अमान्य कर दिया। इसके बाद राजद के सदस्य कार्य स्थगन को मंजूर करने की मांग को लेकर शोरगुल करने लगे ।
राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि बिहार में अचानक आई बाढ़ से जो स्थिति उत्पन्न हुई है उस पर सरकार को सदन में वक्तव्य देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सरकार यदि संवेदनशील होती तो बाढ़ की स्थिति के बारे में सभी सदस्यों को सदन में अवगत कराती कि सरकार बाढ़ पीड़ितों के लिए क्या कर रही है और आगे क्या करने जा रही है ।
उधर, दरभंगा जिले में करीब एक सप्ताह से लगातार जारी बारिश के कारण कमला बलान नदी में उफान से कई जगहों पर तटबंधोंं के क्षतिग्रस्त होने से सात प्रखंड की करीब एक लाख की आबादी प्रभावित हो गयी है।
जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम ने आज यहां बताया कि प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर जारी है। बाढ़ में फंसे लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एन.डी.आर.एफ.) एवं राज्य आपदा मोचन बल (एस.डी.आर.एफ) की टीमें लगातार कार्य कर रही है। वहीं, शरण स्थलों पर ठहरे हुए लोगों को कम्युनिटी किचन के माध्यम से खाना खिलाया जा रहा है।