तेजस्वी यादव के लगातार विशेष दर्जा की मांग उठाए जाने से जदयू में परेशानी साफ दिख रही है। केंद्र में एनडीए सरकार के गठन के बाद तेजस्वी यादव ने कहा था कि केंद्र सरकार में बिहार की भूमिका निर्णायक है। विशेष राज्य का दर्जा हासिल करने का सही वक्त है। इस पर आज जदयू के कई प्रवक्ताओं ने साझा प्रेस वार्ता में निर्णायक भूमिका में होने को स्वीकार नहीं किया। कहा कि यह विमर्श का विषय है कि बिहार निर्णायक भूमिका में है या नहीं। इसके बाद प्रवक्ताओं ने यह बताने पर पूरा जोर दिया कि जब लालू प्रसाद केंद्र में मंत्री थे, तब उन्होंने विशेष दर्जा नहीं दिलाया। साफ है कि जदयू विशेष दर्जा के सवाल पर पीछे हट गया है और वह इस पर अब आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहा है। विशेष दर्जा की मांग के लिए केंद्र पर दबाव डालने के बजाय पुरानी बातों को याद करने का मतलब यही है कि वह इस सवाल को प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष मजबूती से उठाने नहीं जा रहा है।
————–
राहुल ने बता दिया, इस बार संसद में क्या होगा
जदयू नेताओं के आरोप का राजद ने जवाब दिया है। पार्टी प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग बिहार बंटवारे के समय से ही की जा रही है। उस समय बिहार में राजद की सरकार थी और केन्द्र में एनडीए की सरकार थी जिसमें नीतीश कुमार मंत्री थे। उसी समय उतर प्रदेश से अलग होने पर उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। 25 अप्रैल, 2000 को बिहार विधानसभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केन्द्र को भेजा गया था। 3 फरवरी 2002 को दीघा-सोनपुर रेल सह सड़क पुल के शिलान्यास के अवसर पर गांधी मैदान की सभा में तत्कालीन मुख्य मंत्री राबड़ी देवी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग सार्वजनिक रूप से की थी जिसे वाजपेई जी ने उचित मांग बताते हुए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का आश्वासन भी दिया था। पुन: तत्काल 2 अप्रैल 2002 को बिहार विधानसभा में सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केन्द्र को भेजा गया। 16 मई 2002 को राजद सांसद स्व डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह जी द्वारा नियम 193 दिए गए नोटिस पर लोकसभा में चर्चा हुई जिसका सभी दलों ने समर्थन किया था। इसके बावजूद बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिया गया और उस फाईल को ही क्यों बंद कर दिया गया, इसका सही जवाब तो नीतीश जी ही देंगे। 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव में खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही सार्वजनिक मंचों से वादा किया था कि केन्द्र में उनकी सरकार बनने पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा। दोनों बार उनकी सरकार बनी और फिर इस बार जदयू के समर्थन से ही उनकी सरकार बनी है तो अब जदयू इस मांग से भाग क्यों रहा है?