बिहार के कई जिलों में भूमिगत जल स्तर गिरने के संकट के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों को नल के जल एवं बिजली के दुरुपयोग से बचने के लिए प्रेरित करने पर बल देते हुये आज कहा कि राज्य के सभी सरकारी भवनों, उच्च स्थलों, विद्यालयों एवं सार्वजनिक संस्थानों की छतों पर वर्षा जल के संचयन की व्यवस्था शुरू की जायेगी।
श्री कुमार ने लघु जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक प्रस्तुतीकरण के बाद कहा कि लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हर घर नल का जल योजना चलायी जा रही है। लोगों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कृषि फीडर का कनेक्शन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करना होगा कि वे नल के जल एवं बिजली का दुरुपयोग न करें। राज्य सरकार सभी सरकारी भवनों, उच्च स्थलों, स्कूलों, सार्वजनिक संस्थानों की छतों पर वर्षा जल के संचयन की व्यवस्था शुरु करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमलोगों का प्रयास हो कि भू-सतह जल का सदुपयोग हो। इसके लिये योजनायें भी बनायी जाये और भूमिगत जल के रिचार्ज के लिए काम करें ताकि भू-जल का स्तर बरकरार रह सके। लघु जल संसाधन विभाग जल संचयन के लिए अपनी छोटी-छोटी योजनाएं बनाकर काम कर रही है। भू-सतह जल की उपयोगिता भी जरुरी है, इसके लिए भी काम करना जरुरी होगा।”
श्री कुमार ने निर्देश देते हुये कहा कि तालाबों को चिन्हित कर जिर्णोद्धार के लिए काम किया जाये। तालाबों के ऊपर सौर प्लेट लगाने के लिये लोगों को प्रेरित किया जाये। उन्होंने लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को सार्वजनिक स्थलों के चापाकलों को ठीक कराने का निर्देश दिया और कहा कि राज्य की छोटी-छोटी नदियों के वाटर मूवमेंट को सुनिश्चित करने के लिए काम किया जाये। चेक डैम भी बनाया जाये ताकि वहां पानी की उपलब्धता के साथ-साथ जल-स्तर भी कायम रह सके। उन्होंने कहा कि पानी की आवश्यकता को देखते हुए वर्षा जल संचयन जरूरी है। जल संचित होने से उसको साफ कर पीने के साथ-साथ इसका अन्य जरूरतों के लिया उपयोग किया जा सके।