बिहार भाजपा के पास आज की तारीख में कोई केंद्रीय नारा नहीं है, कोई केंद्रीय मुद्दा नहीं है। रह-रह कर कभी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह बांग्लादेशी घुसपैठिए की बात करते हैं, कभी हिंदू जागो का नारा लगाते हैं, लेकिन उन्हें भी पता है कि बिहार की जनता पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। आज की तारीख में सबसे कनफ्फूज अगर कोई पार्टी है, तो वह भाजपा ही है।

तेजस्वी यादव अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे हैं। जाति गणना की बात कर रहे हैं। रोजगार का मुद्दा उठा रहे हैं। जदयू के नेता नीतीश कुमार के कार्यों को गिना रहे हैं। महिलाओं के लिए कितना विकास किया बता रहे हैं। लेकिन भाजपा? भाजपा बिहार के विकास का श्रेय भी नहीं ले पा रही है, क्योंकि उसके दावेदार तो नीतीश कुमार हैं।

खास बात यह है कि भाजपा की दिशाहीनता लोकसभा चुनाव के बाद से ही देखने को मिल रहा है। जो हाल बिहार में है, वही हाल हरियाणा के चुनाव में दिख रहा है। वहां भाजपा का हिंदू कार्ड नहीं चल रहा है। वहां भाजपा ने कोई ऐसा काम भी नहीं किया है, जिसे प्रचार का केंद्रीय मुद्दा बना सके। ले-देकर वह कांग्रेस में कुमारी सेलजा नाराज है, इसी पर बोल रहे हैं। अब वह भी मुद्दा नहीं रहा। सेलजा ने कह दिया कि उनकी रगों में कांग्रेस है। वे कांग्रेस छोड़ कर कहीं नहीं जा रही हैं। वे कांग्रेस में ही अंतिम सांस लेंगी और कांग्रेस के झंडे में लिपट कर जाएंगी।

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भाजपा की दिशाहीनता झारखंड में भी दिख रही है। वहां जेएमएम ने मंईयां योजना को सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। अब तो कल्पना सोरेन मंईयां सम्मान यात्रा निकाल रही हैं। भाजपा चाहकर भी मईंया योजना का खुल कर विरोध नहीं कर पा रही है। हां कुछ लोग पीआईएल के जरिये इस योजना को रोकना चाहते हैं, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा कि भाजपा वाले पीआईएल कर रहे हैं। झारखंड में भी भाजपा का हिंदू कार्ड नहीं चला। वहां इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है।

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By Editor


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