इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
वक्फ अधिनियम की दोधारी तलवार से जदयू की गर्दन पर वार करने के बाद अब बीजेपी ने नीतीश के खिलाफ एक और व्यूह रचना रच दी है. भाजपा हर हाल में नीतीश को विधान सभा चुनाव से पहले सत्ता से बेदखल करने पर आमादा है. वह जानती है कि नीतीश, एकनाथ शिंदे नहीं हैं, जिन्हें चुनाव बाद भी गद्दी से उतार दिया जाये. भाजपा रणनीतिकार का स्पष्ट मानना है कि नीतीश की सियासी जमीन चुनाव से पहले उखड जाये तभी कुछ होगा.
ऐसे में बिहार भाजपा के बुजुर्गतरीन नेता अश्विनी चौबे ने अचनाक नीतीश को उप-प्रधान मंत्री बनाने की वकालत कर दी है. चौबे भले कहें कि ये उनका निजी बयान है, पर गुजरात लॉबी के सामने चौबे साहब की इतनी औकात नहीं कि वह ऐसे निजी बयान भी दे दें.
दर असल , समझा जाता है कि अमित शाह ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं कि चुनाव से पहले नीतीश बाबू को सत्ता से उतार दिया जाये.
उधर दूसरी तरफ भाजपा ने वक्फ संशोधन अधिनियम मामले में नीतीश का साथ ले कर उन्हें मुस्लिम वोटर्स से लगभग पूरी तरह वंचित कर दिया है. अब नीतीश को वक्फ प्रकरण के बाद कम से कम चार प्रतिशत वोट का नुकसान होने वाला है. इससे नीतीश की पार्टी धरातल पर तो आ जायेगी, लेकिन भाजपा को ठीक वैसे ही फायदा होगा जैसे 2020 में चिराग मॉडल के द्वारा नीतीश को तीन नम्बर के ठिकाने पर पहुंचा दिया था.
आज हक की बात में मेरे साथ देखिए इस विषय पर विश्लेषण.