इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
बिहार का तूफान अभी थमा नहीं है. नीतीश की कुर्सी अब भी दांव पर है. बल्कि अब तो शाह ने साम, दाम, दंड, भेद का रुख अख्तियार कर लिया है. ऑफर यहां तक दिला दिया है कि भइये चोहो तो भारत रत्न ले लो, पर कुर्सी छोड़ो. और तुर्रा देखिए कि यह ऑफऱ उस सांसद से शाह ने दिलवाया है जो नीतीश को फूटी आंख से भी पसंद नहीं करते. ये सज्जन हैं गिरिराज सिंह. गिरिराज सिंह ने कहा है कि नीतीशजी ने दो दशक में बड़ा काम किया है. उन्हें कोई भी पद दिया जा सकता है. उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए… या कोई भी पद.
इस खेल को समझिये. इस खेल के पीछे मामला यहा है कि नीतीश के नेतृत्व में चुनाव तो हो. पर जीत के बाद नीतीश खुद ऐलान कर दें कि वह मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते. बस उसके बाद सरकारा उन्हें भारत रत्न से नवाज देगी. इतना ही नहीं, 27 जुलाई 2027 को राष्ट्रपति द्रौप्दी मुर्मू का कार्यकाल खाली हो जायेगा. उस कुर्सी पर नीतीश को बिठा दिया जायेगा.
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पर नीतीश भी कच्चे खिलाड़ी तो ठहरे नहीं. फिर कोप भवन में चले गये. आज दिल्ली में एनडीए की बैठक में उन्हें आने को कहा गया था. चंद्राबाबू समेत सारे नेता पहुंच गये. नीतीश नहीं गये.
शाह मानने वाले नहीं है नीतीश को छोड़ेंगे नहीं. बस देखते रहिए कि असल चाणक्य नीतीश हैं, या शाह.