बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में भाजपा का टेंशन बढ़ गया है। पहले ही कई सर्वे बता चुके हैं कि राज्य में सबसे ज्यादा लोग तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। कई सर्वे में इंडिया गठबंधन को एनडीए पर भारी बताया गया है। अब चुनाव आयोग के मतदाता पुनरीक्षण वाले निर्णय के बाद भाजपा का ग्राफ और भी तेजी से गिरा है। मिल रही जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा रोष केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के जनाधार में है। उनके जनाधार में पहले ही मांझी के परिवारवाद से लोग नाराज थे, फिर मतदाता पुनरीक्षण से नाराजगी गुस्से में बदल गई है। मांझी खुल कर मतदाता पुनरीक्षण का समर्थन कर रहे हैं, जबकि उनके आधार में गुस्सा में बढ़ता जा रहा है।

बिहार में चक्का जाम और बंद की सफलता से सबसे ज्यादा टेंशन में भाजपा है। उसने पूरे मामले को हिंदू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं जमा। पार्टी नेताओं ने कहा कि चुनाव आयोग घुसपैठियों को बाहर करना चाहता है, जबकि राजद वाले घुसपैठियों को बचाने में लगे हैं।

इधर एक टीवी चैनल की महिला एंकर ने अपने शो में दावा किया कि बिहार में मुसलमानों की जितनी आबादी है, उससे ज्यादा आधार कार्ड उनके पास है। इस शो के बाद सोशल मीडिया में लोगों ने सवाल किया है कि महिला एंकर के पास ऐसा कहने का क्या आधार है। वह जो तथ्य पेश कर रही हैं, वह कहां से आया। कुल मिला कर पूरे मामले  को हिंदू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश की जा रही है, लेकिन करोड़ों गरीब दलित, अतिपिछड़ों को जो परेशानी हो रही है, वह इस घुसपैठिया नैरेटिव से हल होता नहीं दिखाई दे रहा है। बिहार में भाजपा और चुनाव आयोग दोनों फंस गए हैं।

 

By Editor