बोचहा : बीजेपी को हरवाने में जदयू ने ऐसे निभाई भूमिका
बोचहा में भाजपा को 36653 वोट के भारी अंतर से अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की हार सुनिश्चित करने में जदयू की भी खास भूमिका रही।
कुमार अनिल
बोचहा में राजद की जीत की उम्मीद तो थी, पर इतने भारी अंतर से जीत का दावा राजद ने भी नहीं किया था। राजद की जीत और भाजपा की करारी हार में सामाजिक समीकरण यानी विभिन्न जातियों की भूमिका पर नजर डालने से पहले राजनीतिक कारणों पर चर्चा ज्यादा जरूरी है। बोचहा ने कई राजनीतिक-सामाजिक संदेश दिए हैं, पर सबसे बड़ी बात यह है कि भाजपा की हार से जदयू में कोई मायूसी नहीं है, बल्कि कई नोताओं ने संतोष जाहिर किया।
नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर एक जदयू नेता ने बताया कि भाजपा का हारना जरूरी था। उसका मन बढ़ गया था। नालंदा के एक जदयू नेता ने कहा कि भाजपा के लोग नीतीश कुमार पर तरह-तरह से दबाव बना रहे हैं। कभी वे अपनी ही एनडीए सरकार की आलोचना कर नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल करते हैं, तो कभी नीतीश कुमार को हटा कर भाजपा नेता को मुख्यमंत्री बनाने का सपना देखते हैं। भाजपा रह-रह कर राज्य में हिंदुत्व की राजनीति अर्थात अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश भी करती रही है। इन वजहों से जदयू कार्यकर्ता भाजपा से नाराज हैं और उन्होंने बोचहा में जदयू की हार सुनिश्चित करने के लिए काम किया।
बोचहा का राजनीतिक संदेश भी है। माना जा रहा था कि भाजपा ने अतिपिछड़ों को सामाजिक न्याय से दूर करके उनका भगवाकरण कर दिया है। लेकिन वीआईपी को 29,279 वोट मिले, जो ठीक-ठाक वोट कहा जाएगा। इसका अर्थ है कि मल्लाह जाति ने भाजपा के हिंदुत्व की राजनीति को खारिज किया है।
पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा ने कहा कि राजद को कुशवाहा समाज का अच्छा-खासा वोट मिला है। कुशवाहा समाज का भाजपा से मोहभंग दिखता है। उधर, राजद में बोचहा की भारी जीत से खुशी का माहौल है। पार्टी ने इसे ए टू जेड की जीत बताया है। राजद के इस दावे की पुष्टि में पार्टी समर्थकों ने कहा कि राजद को न सिर्फ दलित, अतिपिछड़ा, पिछड़ा, अल्पसंख्यक के वोट मिले, बल्कि भूमिहारों का भी अच्छा वोट मिला है।
बोचहा में राजद के अमर पासवान को 82562 वोट, बीजेपी की बेबी कुमारी को 45909 वोट और वीआईपी की गीता कुमारी को 29279 वोट मिले।
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