बॉलीवुड फेल, बंगाल में रिकॉर्ड तोड़ रहा खेला होबे-खेला होबे
चुनावों में नए-नए गीत बजते हैं, लेकिन बंगाल में एक गीत इतना लोकप्रिय हुआ है, जिसकी बराबरी का गीत खोजने के लिए आपको इतिहास खंगालना पड़ेगा। बॉलीवुड भी फेल है।
कुमार अनिल
बॉलीवुड के हजारों गीत ऐसे हैं, जो लोगों की जुबान पर हैं, लेकिन ऐसा कोई गीत बताने में आपको परेशानी होगी, जिसे गाते ही दसियों हजार लोग झूम उठें और जबरदस्त ऊर्जा से भर जाएं। मंच से गायक के हर बोल को झूम के दोहराएं। ऐसा ही हो रहा है इस बार बंगाल में। गीत है खेला होबे-खेला होबे।
कुछ महीने पहले तक भाजपा जयश्रीराम का नारा लगाती थी। भाजपा के नेता कहते भी थे कि ममता जहां जाएं, जयश्रीराम से उनका स्वागत करें। सुभाषचंद्र बोस की 125 वीं जयंती के अवसर पर भी जयश्रीराम का नारा लगा था। अब हाल यह है कि भाजपा के नेता भी मंच से खेला होबे गीत के बोल दुहरा रहे हैं, भले ही आलोचना में। यह गीत सारे गीतों और नारों पर भारी पड़ गया है।
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75 पंक्तियों वाला यह गीत लंबा है, जिसमें न सिर्फ भाजपा की नीतियों की आलोचना है, बल्कि ममता के कार्यों की सराहना भी है। अब तो खुद ममता भी अपनी सभाओं में खेला होबे-खेला होबे कहती हैं और जवाब में भीड़ उसी उत्साह के साथ खेला होबे दुहराती है।
यह गीत भोजपुरी के उन गायकों के लिए भी सबक है, जो समझते हैं कि गीत की सफलता के लिए अश्लील होना जरूरी है। ऐसे गायक तर्क देते हैं कि बाजार की मांग के अनुसार गाना पड़ता है। बंगाल के युवा गीतकार देबांग्सु भट्टाचार्य देव ने दिखा दिया कि गीत की धुन अच्छी हो, कंटेट ऐसा हो जो लोगों की नब्ज को छुए, तो गीत के लिए अश्लील होना जरूरी नहीं।
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सीएए विरोधी आंदोलन में भी हम देखेंगे गीत लोकप्रिय हुआ था, पर वह भीड़ को ऊर्जा से भर देने वाला नहीं था। गीत गंभीर था। किसान आंदोलन में भी पंजाब के गायकों ने लोकप्रिय गीत गाए हैं, पर खेला होबे का जवाब नहीं।
गीत ने जहां ममता समर्थकों को जोश से भर दिया है, वहीं इस गीत ने भाजपा की परेशानी बढ़ा दी है। गीत में भाजपा पर करारे हमले हैं। यूपी मॉडल नहीं चलेगा-खेला होबे, खेला होबे। गीत में हाथरस में दलित बेटियों पर अत्याचार का मामला भी आता है। हर लाइन के बाद गीत के बोल आते हैं-खेला होबे। और भीड़ जवाब में कहती है-खेला होबे, खेला होबे।