Delhi के Nizamuddin मरकज में शामिल हुए तबलीगी जमात के देश और विदेशी सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया गया है. बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने यह फैसला लेते हुए कहा, तबलीगी जमात को ‘बलि का बकरा’ बनाया गया. इतना ही नहीं कोर्ट ने मीडियो को भी जिम्मेदार ठहराते हुए फटकार लगायी है.
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कोर्ट ने मीडिया को फटकार लगाते हुए कहा, दिल्ली के मरकज में आये विदेशी लोगों के खिलाफ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़ा प्रॉपेगेंडा चलाया गया. मीडिया ने देश में ऐसा माहौल तैयार करने की कोशिश की जिसमें ये लगे कि भारत में फैले Covid-19 संक्रमण का जिम्मेदार विदेश से आये यही लोग है. तबलीगी जमात को बलि का बकरा बनाया गया.
कोर्ट ने तबलीगी जमात के खिलाफ लिये गये एक्शन पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा, ‘भारत में संक्रमण के ताजे आंकड़े बताते हैं कि. तबलीगी जमात के याचिकाकर्ताओं के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी. इस पर जो एक्शन लिया गया है उसके पश्चाचाताप और क्षतिपूर्ति के लिए पॉजिटिव कदम उठाया जाने की आवश्यकता है.
कोर्ट के इस फैसले के बाद अब इस पर राजनीति भी तेज हो गयी है. हैदराबाद से सांसद और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के इस फैसले की तारीफ की है, ओवैसी ने सोशल मीडिया पर अपने विचार रखे हैं उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘पूरी जिम्मेदारी से बीजेपी को बचाने के लिए मीडिया ने तबलीगी जमात को बलि का बकरा बनाया। इस पूरे प्रॉपेगेंडा से देशभर में मुस्लिमों को नफरत और हिंसा का शिकार होना पड़ा
जब ये मामला सामने आया था और जमात के कुछ लोग जब कोरोना पॉज़िटिव पाए गए थे तो इंडिया की मीडिया ने और सरकार ने इसे अलग ही शकल दे दी थी। यहां तक कि इसे इस्लाम और जेहाद तक से जोड़ कर पूरे देश में सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश हुई और यहां तक की इसमें कामयाबी भी मिली थी।