प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में खुलकर मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं को भड़का रहे हैं, ठीक इसी समय नौकरशाही डॉट कॉम के संपादक इर्शादुल हक की नई पुस्तक आई है-मोदीकाल में मुसलमान। पुस्तक में पिछले दस वर्षों में मुसलमानों के खिलाफ किस प्रकार देश में माहौल बनाया गया, इसका तथ्यों के साथ विश्लेषण किया गया है। पुस्तक में नफरत की राजनीति के खिलाफ प्रतिरोध की आवाज को भी बेहतर तरीके से संजोया है, जिससे इस दौर का पूरा चित्र पाठकों के सामने आ जाता है।
पुस्तक की शुरुआत 2014 में मॉब लिचिंग की घटनाओं से होती है। तब झारखंड की घटनाओं ने देश को झकझोर कर रखा दिया था। इसके बाद पुस्तक में नागरिकता का नया कानून : दहल गया देश अध्याय में शाहीनबाग आंदोलन और उसके राष्ट्रव्यापी प्रभाव का विस्तृत वर्णन है। नागरिकता कानून और मुसलमानों की बेचैनी और मुखर प्रतिवाद को दर्ज किया गया है। इसके बाद पुस्तक में जामिया प्रदर्शन : मायूसी में जली संघर्ष की लौ, नागरिकता आंदोलन, हौसला खो चुके समाज का कमाल, आंदोलन में कूदे तेजस्वी यादव, क्रिया की प्रतिक्रिया : ओवैसी का उभार, 84 सेकेंड : नए कालचक्र का उद्गम, मणिपुर-दंगा नहीं, गृहयुद्ध कहिए, हिजाब से हलाल तक, मोदी और पसमांदा मुसलमान, शाहरुख खान : नफरती एजेंडे को रौंदने वाला नायक शीर्ष अध्याय नफरत की राजनीति और प्रतिवाद की दस्तावेज है।
पुस्तक में सीएए क्या है इसे विस्तार से बताया गया है। नागरिकता आंदोलन ने देश को नए नेता भी दिए। अखिल गोगोई, डॉ कफील खान, शिफाउर्रहमान, नताशा नरवाल, देवांगना कलिता, आसिफ इकबाल तन्हा, गुलफिशां फातिमा, मीरान हैदर, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, शफूरा जरगर, आरिफ खान त्यागी, शरजील उस्मानी, सदफ जफर और नाहिद अकील जैसे नए नायकों की भूमिका को भी प्रर्याप्त जगह दी गई है।
लेखक ने 1974 आंदोलन के बाद इस आंदोलन को सबसे अधिक प्रभावशाली माना है, जिसका प्रभाव पूरे देश पर पड़ा। इस आंदोलन को देशद्रोही बताने में मीडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इसके बावजूद आंदोलन बढ़ता रहा। पुस्तक में मोदी और पसमांदा मुसलमान अध्याय में बिहार के पसमांदा आंदोलन की भी समीक्षा की गई है, जो पुस्तक को और भी व्यापक बनाती है तथा पठकों को पूरी मुस्लिम सियासत की समझ बनाने में मदद करती है।
पुस्तक का प्रकाशन नौकरशाही मीडिया ने किया है। इसकी कीमत 350 रुपए है।
लेखक का परिचय-पुस्तक के लेखक हैं इर्शादुल हक। वे नौकरशाही डॉट कॉम के संपादक हैं। आईआईएम, दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई की। बर्मिंघम यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड में भी अध्ययन किया। फोर्ड फाउंडेशन की इंटरनेशनल फेलोशिप पाई। बीबीसी के लिए लंदन में काम किया। वाशिंगटन, ब्रुसेल्स और लंदन में अकादमिक व्याख्यान दिए। दिल्ली और पटना के कई अखबारों में भी काम किया।