साल 2016 की तरह इस बार भी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की कार्यशैली संदेह के घेरे में है. जहां पिछली बार फर्जी टॉपर रूबी राय को लेकर बोर्ड की फजीहत हुई थी, वहीं इस दफे आर्टस टॉपर गणेश को लेकर सवाल उठ रहे हैं. तब सरकार ने बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर समेत कई लोगों को जेल भेज दिया था, मगर इस बार निशाने पर सरकार के चहेते अधिकारी आनंद किशोर फंसते नजर आ रहे हैं, जिन्हें लालकेश्वर के बाद बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
नौकरशाही डेस्क
आटर्स टॉपर गणेश की शुक्रवार रात बोर्ड ऑफिस से गिरफ्तारी के बाद जदयू और राजद ने भी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राजद विधायक शक्ति यादव ने बोर्ड अध्यक्ष पर कार्रवाई की मांग की है. वहीं, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि ऑपर गणेश मामले को लेकर बोर्ड और बोर्ड के अध्यक्ष जांच के घेरे में हैं. उन्होंने कहा कि जिससे भी गलती हुई है, उसे बख्शा नहीं जाएगा.
इससे पहले गणेश ने अपने कबूलनामे में बताया कि उसने यह गुनाह सरकारी नौकरी पाने के लिए किया था, लेकिन उसे नहीं पता था कि उसकी यह ख्वाहिश उसे सलाखों के पीछे तक पहुंचा देगी. गणेश को इस बात का बेहद अफसोस है कि उसके इस गुनाह के कारण उसका परिवार-गांव दु:खी होगा. रो रहा होगा. बता दें कि बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने गुरुवार को कहा था कि गणेश के टॉपर होने में कोई संदेह नहीं है. सभी अन्य टॉपर्स के साथ गणेश की कॉपियों की भी पूरी जांच हुई है. लिखित परीक्षाओं में गणेश का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है और इसी हिसाब से उसे अंक भी दिए गए हैं. इसलिए उसके टॉपर होने में बोर्ड को कोई संदेह नहीं. प्रैक्टिकल के अंकों पर भी कोई जांच की योजना नहीं है.
उधर शनिवार को पटना में एसएसपी मनु महाराज ने गणेश से पूछताछ के बाद बताया कि गणेश पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है. वह फर्ज़ीवाड़े का पुराना खिलाड़ी है. गणेश गिरिडीह में किसी नॉन बैंकिंग फाइनान्स कंपनी में काम करता था, जहां उसने फर्जीवाड़ा किया. बाद में कर्ज में डूबने के बाद गिरिडीह से वह भाग कर पटना आ गया. क़र्ज़ चुकाने के लिए किसी सरकारी नौकरी की लालच में 42 साल के गणेश ने अपनी उम्र कम कर समस्तीपुर से परीक्षा दिया.