बजट के बाद लोगों को क्यों याद आए लालू यादव
कल सालाना बजट पेश हुआ। पहले मध्यवर्ग इनकम टैक्स में छूट देखता था और आम लोग रेल किराया जानना चाहते थे। इस बार क्या हुआ कि लोग लालू को याद करने लगे।
कुमार अनिल
बजट आम लोगों के समझ में बहुत नहीं आता है। लंबे भाषण और आंकड़ों की भरमार के बीच शहरी मिडिल क्लास की रुचि इनकम टैक्स में छूट पर रहती थी, वहीं साधारण लोग यह जानना चाहते थे कि रेल किराया कितना बढ़ा? इस बार बजट के बाद अनेक लोगों ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद को याद किया।
पिछले साल जुलाई में ही केंद्र सरकार ने प्राइवेट ट्रेन के लिए हरी झंडी दे दी थी। फाइनेंसियल एक्सप्रेस के अनुसार 109 रूटों की पहचान भी कर ली गई थी। अब इस कार्य में तेजी आ रही है।
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बिहार से 26 प्राइवेट ट्रेनें चलेंगी। अभी तक जो ट्रेनें चल रही हैं, उनमें किराया अधिक और सुविधा कम कर दी गई है। सरकार ने देख लिया कि लोग इसे चुपचाप सहने को तैयार हैं। अब निजी ट्रेनें चलेंगी। लोग मान कर चल रहे हैं कि इन ट्रेनों में किराया ज्यादा होगा। इससे सबसे ज्यादा बोझ उन गरीबों पर पड़ेगा, जो रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश जाते हैं। अब इस परिस्थिति में लोगों को लालू प्रसाद याद आ रहे हैं।
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पहले भी हर बार रेल किराया बढ़ जाता था। हालांकि वह मामूली होता था। पांच-दस रुपए बढ़ते थे। तब भी उसका विरोध होता था। तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने पहली बार रेल किराया घटा दिया। इसके बावजूद रेलवे का मुनाफा बढ़ा। अब तो पांच-दस रुपए की बात छोड़िए, सौ-दो सौ रुपए ज्यादा देना पड़ रहा है।
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अर्चना डालमिया ने ट्विट किया कि एक दौर वो था, जब लालू जी रेल मंत्री थे। बिना किराया बढ़ाए मुनाफा बढ़ रहा था। रेलवे को 90 हजार करोड़ का फायदा हुआ। गरीबों को गरीब रथ में एसी की सुविधा मिली थी। रेलवे राहत कोष से बिहार में बाढ़ आने के बाद 90 करोड़ की सहायता मिली थी। आज रेलवे की हालत क्या है?
रेलवे में गरीब का सफर कैसा होगा, कोई चर्चा भी नहीं कर रहा। वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम भी सेंचुरी छूने को हैं। आम आदमी का जीवन सहज होगा या बढ़ेंगी कठिनाइयां?