बुजुर्ग के त्याग की आड़ में अपनी नाकामी छिपा गए मुख्यमंत्री
बुजुर्ग ने अस्पताल में अपना बेड युवा को दे दिया। तीन दिन बाद उनकी मौत हो गई। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बुजुर्ग की प्रशंसा की आड़ में छुपाई अपनी नाकामी।
कुमार अनिल
आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक ट्विट काफी शेयर किया जा रहा है। दरअसल यहां एक 85 वर्ष के बुजुर्ग कोरोना से पीड़ित थे। उनके बच्चों ने बड़ी मशक्कत से बुजुर्ग के लिए अस्पताल में बेड की व्यवस्था की। इसी बीच वहां एक बीमार युवा भर्ती होने आया। अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि यहां बेड नहीं है। यह सुनकर परिजन रोने लगे। इस पर बुजुर्ग ने अपना बेड उस युवा को देने का आग्रह किया और खुद घर लौट गए। तीन बाद उनकी मौत हो गई।
बुजुर्ग का त्याग तो अच्छा है, लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि तीन दिन बाद भी उस बुजुर्ग को कोई दूसरा बेड क्यों नहीं मिला। सवाल यह भी है कि बुजुर्ग को आखिर इस त्याग के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा और क्या किसी बुजुर्ग को जीने का अधिकार नहीं है? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन सारे सवालों से बचते हुए बुजुर्ग के त्याग की बात करके खुश हैं।
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उन्होंने ट्विट किया- मैं 85 वर्ष का हो चुका हूं, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया, तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं। ऐसा कह कर कोरोना पीडित @RSSorg के स्वयंसेवक श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज़ को दे दिया। दूसरे की प्राण रक्षा करते हुए श्री नारायण जी तीन दिनों में इस संसार से विदा हो गये। समाज और राष्ट्र के सच्चे सेवक ही ऐसा त्याग कर सकते हैं, आपके पवित्र सेवा भाव को प्रणाम!
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कांग्रेस के गौरव पांधी ने सवाल किया-इन बुजुर्ग आरएसएस स्वयंसेवक की मृत्यु का जिम्मेदार भी सिस्टम है, जिसका आप खुद एक बहुत बड़ा हिस्सा हैं। इनकी मृत्यु आपके सिस्टम की विफलता से हुई है। पिछले एक साल में जश्न मनाने की बजाए व्यवस्था पर काम किया होता तो इन्हें अपना बेड किसी और को नहीं देना पड़ता। आपको शर्म आनी चाहिए।
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। पिछले साल लॉकडाउन में दरभंगा की एक लड़की अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर दिल्ली से बिहार ले आई। सत्ता उस लड़की के साहस की दाद देने की आड़ में अपनी नाकामी पर पर्दा डालने में लगा रहा। वहां भी सवाल था कि उस लड़की को ऐसा करने के लिए किसने मजबूर किया। क्या लोगों को बिना समय दिए पूरी तरह लॉकडाउन करना उचित था, क्या उस लड़की को बीच रास्ते में सत्ता ने मदद पहुंचाने की कोशिश की?