CAG की रिपोर्ट ने खोली स्वच्छ भारत की पोल, स्कूलों में शौचालय बने ही नहीं, स्कूलों में कही पानी नहीं और कहीं इस्तेमाल ही नहीं किये गए।
शाहबाज़ की विशेष रिपोर्ट
भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Comptroller & Auditor General of India-CAG) की एक रिपोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान पर सनसनीखेज़ खुलासा किया है. रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों में 40 % शौचालय बने ही नहीं है.
रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों में 40 % शौचालय बने ही नहीं, 70 % स्कूलों में पानी नहीं, 55 % में हाथ धोने की सुविधा नहीं और 75 % स्कूलों में स्वच्छता का कोई ख्याल नहीं रखा गया है.
भारत सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) के तहत 2014 में स्वच्छ विद्यालय अभियान की शुरुआत की थी. इसके अंतर्गत 53 केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (Central public sector enterprises) को विद्यालयों में 1.4 लाख शौचालय बनाने थे.
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CAG की इस रिपोर्ट को बुधवार को संसद में पेश किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल 10.8 लाख सरकारी स्कूल है. जिसमें कुल मिलाकर 1.4 लाख टॉयलेट्स बनाये जाने थे. केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के 53 उद्यमों को यह कार्य करना था जिनमे प्रमुख तौर पर ऊर्जा,कोयला और तेल के उद्यम शामिल है. CAG ने ऑडिट के लिए 15 राज्यों में 2695 सरकारी स्कूलों में Physical survey कराया था.
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CAG की रिपोर्ट ने सनसनीखेज़ खुलासा किया है कि जब स्कूलों में सर्वे कराया गया तब पता चला कि स्कूलों में 40 % शौचालय बने ही नहीं है. इनमे ऐसे भी शौचालय शामिल है जिनका निर्माण पूरा नहीं हो सका या उनका इस्तेमाल ही नहीं हुआ. इतना ही नहीं जब सर्वे हुआ तब यह भी खुलासा हुआ कि 70 % सरकारी स्कूलों में जहाँ शौचालय बनाने की बात थी वहां पानी की सप्लाई भी सुनिश्चित नहीं कराई जा सकी है. 75 % सरकारी स्कूल ऐसे मिले जिनमे स्वच्छता का कोई ख्याल नहीं रखा गया है.
आपको यह भी बता दें कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत बिहार के गोपालगंज ज़िले ने एक दिन में 11244 शौचालय निर्माण कर रिकॉर्ड कायम किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2018 को मोतिहारी में रैली को सम्बोधित करते हुए कहा था कि बिहार में एक हफ्ते में 8.5 लाख शौचालयों का निर्माण हुआ है. इसपर राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री के इस दावे पर विश्वास नहीं कर सकते।
हालाँकि, सर्वेक्षण में पाया गया कि 72% निर्मित शौचालयों में पानी की कोई सुविधा नहीं थी, जबकि 55% में हाथ धोने की कोई सुविधा नहीं थी। लेखापरीक्षा ने यह भी देखा कि “शौचालय के दोषपूर्ण निर्माण, नींव / रैंप / सीढ़ी का गैर-प्रावधान और क्षतिग्रस्त / अतिप्रवाहित लीच पिट, जिसके कारण शौचालयों का अप्रभावी उपयोग होता है,” रिपोर्ट में कहा गया है।
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रखरखाव और स्वच्छता के संबंध में, 75% शौचालयों ने दिन में कम से कम एक बार दैनिक सफाई के लिए आदर्श का पालन नहीं किया। सर्वेक्षण में पाया गया कि 715 शौचालयों को साफ नहीं किया जा रहा है, जबकि 1,097 को महीने में एक बार सप्ताह में दो बार की आवृत्ति के साथ साफ किया जा रहा है। “साबुन, बाल्टी, सफाई एजेंटों और शौचालय में कीटाणुनाशक और मार्ग की अपर्याप्त सफाई के गैर-प्रावधान के मामले भी देखे गए,” रिपोर्ट में कहा गया है।