राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बंटोगे, तो कटोगे वाले बयान का समर्थन किया है। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि विचारधारा के नाम पर हिंदू समाज को बांटने की कोशिश हो रही है। योगी आदित्यनाथ के बाद भाजपा के अन्य नेता भी बार-बार दुहरा रहे हैं बंटोगे, तो कटोगे। अब पहली बार संघ ने भी यही नारा दिया है। सवाल है कि संघ ने योगी के नारे को क्यों समर्थन दिया।
दरअसल हाल के दिनों में देश के पिछड़े वर्गों में जाति गणना की मांग तेज हुई है। इसी के साथ आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत को खत्म करने की मांग भी जोर पकड़ रही है। संघ को इसी बात की चिंता है कि जाति गणना और आरक्षण की मांग तेज हुई, तो हिंदुओं के सांप्रदायिकरण का उनका प्रोजेक्ट ध्वस्त हो सकता है। इसीलिए संघ ने भी कहना शुरू कर दिया है कि बंटोगे तो कटोगे।
याद रहे संघ और भाजपा पहले भी ऐसा कर चुके हैं। मंजल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के बाद भाजपा और संघ ने राम मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा की थी। तब पिछड़ों का आंदोलन सांप्रदायिक उन्माद में दब गया था। एक बार फिर उसी तरह से पिछड़ों के आंदोलन, उनकी आकांक्षा पर मिट्टी डालने के लिए ऐसा उग्र नारा दिया जा रहा है।
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उप्र में अखिलेश यादव ने पीडीए की एकता के जरिये पिछड़ों को गोलबंद किया है। राहुल गांधी लगातार जाति गणना की मांग कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि उनकी सरकार बनी, तो आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा खत्म कर दी जाएगी। राहुल गांधी लगातार संघ पर हमला कर रहे हैं और कह रहे हैं कि संघ से उनकी विचारधारात्मक लड़ाई है। संघ देश के संविधान, लोकतांत्रिक मूल्यों, धर्मनिरेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है। वह महापुरुषों की शिक्षा के खिलाफ है, जिसमें सबको प्रेम और भाईचारे के साथ मिल-जुल कर रहने का संदेश दिया गया है।
साफ है जयश्रीराम के बाद अब संघ परिवार का केंद्रीय नारा बंटोगे तो कटोगे बन गया है।
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