CBI एक बार फिर से सुर्खियों में, SC ने कहा – CBI कोर्ट के आदेश से खेल रहा
सीबीआई आज एक बार फिर से सुर्खियों में उस वक्त आ गई, जब बिहार के चर्चित बालिका गृह कांड में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि CBI कोर्ट के आदेश से खेल रहा। इस मामले में नाराज़ कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि आपने 31 अक्तूबर को कहा था कि एके शर्मा जांच टीम के सीनियर मोस्ट अफसर होंगे. तो फिर जांच की निगरानी कर रहे एके शर्मा का ट्रांसफर क्यों किया गया? कोर्ट ने सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव को व्यक्तिगत रूप से 12 फरवरी को पेश होने का निर्देश दिया।
नौकरशाही डेस्क
अवमानना का नोटिस
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने शीर्ष अदालत के दो आदेशों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया और न्यायालय की अनुमति के बगैर ही जांच ब्यूरो के संयुक्त निदेशक शर्मा का तबादला सीआरपीएफ में किये जाने के मामले में नागरेश्वर राव को अवमानना नोटिस जारी किया।
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अधिकारियों के नाम बताये सीबीआई चीफ
कोर्ट ने कहा कि आपको पता नहीं कि आपने क्या किया है। नागेश्वर राव द्वारा एके शर्मा का ट्रांसफर कर कोर्ट की है। पीठ ने जांच ब्यूरो के निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला को उन अधिकारियों के नाम बताने का निर्देश दिया जो एके शर्मा का तबादला जांच एजेंसी से बाहर करने की प्रक्रिया का हिस्सा थे। शीर्ष अदालत ने अपने पहले के आदेश का जिक्र किया जिसमें सीबीआई से कहा गया था कि शर्मा को बिहार आश्रयगृह मामलों की जांच के दल से हटाया नहीं जाये।
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छह महीने में हो सुनवाई पूरी
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामला बिहार से नयी दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने का गुरुवार को आदेश दिया। आश्रय गृहों के प्रबंधन के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। पीठ ने कहा कि मामले से जुड़े दस्तावेजों को दो सप्ताह के भीतर बिहार की सीबीआई अदालत से पोक्सो साकेत निचली अदालत में स्थानांतरित किया जाये। उसने साकेत की निचली अदालत को छह महीने के भीतर मामले पर सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया।