जहां एक ओर हाल ही में सामने आये हाईप्रोफाइल मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में सीबीआई की टीम लगातार दूसरे दिन बालिका गृह पहुंची और पुलिस पदाधिकारी और केस के आईओ से लिया मामले की जानकारी ली, वहीं दूसरी ओर मुजफ्फरपुर के ही एक चर्चित नवरूणा कांड में सीबीआई को नाकामी हाथ लगी. आज इस मामले में सीबीआई न्यायिक हिरासत में जेल में बंद आधा दर्जन आरोपितों के खिलाफ निर्धारित 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करने में नाकाम रही. सनद रहे, सुप्रीम कोर्ट ने पांचवीं बार इस मामले की जांच की डेडलाइन 15 सितंबर तय की है.

नौकरशाही डेस्‍क

मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआई के प्रभारी न्यायिक दंडाधिकारी राजीव रंजन सिंह ने सभी को सीआरपीसी की धारा-167 (2) का लाभ देते हुए दस हजार के दो बंध पत्र के साथ जमानतदार पेश करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. आरोपितों की ओर से बंध पत्र पेश किए जाने कोर्ट ने जेल से रिहा करने का आदेश जारी कर दिया. जमानत पाने वालों में प्रॉपर्टी डीलर सह बिल्डर ब्रजेश सिंह, जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष शाह आलम शब्बू्र, निजी अस्पताल के प्रोपराइटर विक्रांत शुक्ला उर्फ विक्कू शुक्ला, होटल व्यवसायी अभय गुप्ता, मार्बल व्यवसायी विमल अग्रवाल व अंडीगोला निवासी राकेश कुमार सिंह शामिल है.

गौरतलब है कि 18 सितंबर 2012 को बिहार के मुजफ्फरपुर की 14 वर्षीय दसवीं की छात्रा नवरुणा चक्रवर्ती की हत्या के ठीक एक साल बाद 18 सितंबर 2013 को सीबीआई ने ये केस अपने हाथ में ले लिया था. 26 नवंबर को उसके घर के सामने के नाले से उसका कंकाल बी बरामद हो गया लेकिन पांच साल बाद भी नवरुणा हत्याकांड का रहस्य बना हुआ है. ऐसे में सवाल ये है कि सीबीआई बड़े और हाईप्रोफाइल मामलों का कब्रगाह तो नहीं बन गया है.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427