लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद केन्द्र में सत्ता संभालते ही नयी सरकार को नौकरशाही में कई शीर्ष पदों पर नियुक्ति के बारे में निर्णय लेना होगा क्योंकि आने वाले कुछ सप्ताह में कई विभागों के प्रमुखों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है।
सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव परिणाम 23 मई को आयेंगे जिसके बाद नयी सरकार को सबसे बड़े नौकरशाह केबिनेट सचिव की नियुक्ति करनी होगी। रक्षा सचिव के साथ-साथ खुफिया एजेन्सियों अनुसंधान एवं विश्लेषण शाखा (रॉ) और गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) के प्रमुख भी जल्द ही सेवा निवृत हो रहे हैं। इन दोनों को पहले ही छह माह का विस्तार दिया जा चुका है। नयी सरकार को नये वायु सेना प्रमुख की नियुक्ति भी करनी होगी।
सबसे महत्वपूर्ण नियुक्ति केबिनेट सचिव की है। मौजूदा केबिनेट सचिव पी के सिन्हा 12 जून को सेवा निवृत हो रहे हैं। उन्हें मोदी सरकार ने दो वर्ष का सेवा विस्तार दिया था। रक्षा सचिव संजय मित्रा इसी महीने की 31 तारीख को सेवा निवृत हो रहे हैं और इस पद के लिए रक्षा सचिव (उत्पादन) डा अजय कुमार का नाम लिया जा रहा है। खुफिया ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन और रॉ प्रमुख अनिल कुमार धस्माना को पिछले वर्ष क्रमश 30 और 29 दिसम्बर को छह-छह माह का सेवा विस्तार दिया गया था।
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ भी आगामी 30 सितम्बर को सेवा निवृत हो रहे हैं। सेनाओं के प्रमुखों की नियुक्ति कुछ समय पहले करने की परंपरा रही है इसलिए नयी सरकार को इस बारे में भी जल्दी ही निर्णय लेना होगा। एयर चीफ मार्शल धनोआ को 31 दिसम्बर 2016 को वायु सेना की बागडोर सौंपी गयी थी। मोदी सरकार ने हाल ही में नये नौसेना प्रमुख की नियुक्ति की है जिसमें वरिष्ठता को नजरंदाज कर वरिष्ठतम अधिकारी के बजाय उनसे कनिष्ठ अधिकारी को नौसेना का प्रमुख नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति को सैन्य पंचाट में चुनौती दी गयी है।
इससे पहले मोदी सरकार ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति में भी वरिष्ठता को नजरंदाज किया था। नये सेना प्रमुख की नियुक्ति भी नयी सरकार ही करेगी, हालांकि अभी उसमें लगभग 6 महीने का समय है। जनरल रावत आगामी दिसम्बर में सेवा निवृत होंगे।