चचा पारस और भतीजा चिराग जल्द होंगे एक!
राजनीति बदल गई है, तो नए समीकरण बनाने का प्रयास भी हो रहा है। भाजपा चाहती है कि पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान एक हो जाएं। कोशिश शुरू है।
बिहार की राजनीति बदल गई है। अब नीतीश कुमार और उनका जदयू महागठबंधन का हिस्सा है। भाजपा की एक ही सहयोगी है पशुपति कुमार पारस की लोजपा। भाजपा को 2024 लोकसभा चुनाव की चिंता है। वह अभी से 2024 के लिए समीकरण बनाने में जुट गई है। उसे पता है कि अगर पारस और चिराग अलग-अलग रहे, तो पासवान वोट बंट सकता है, जिससे भाजपा को नुकसान होगा। देर होने पर भाजपा को यह डर भी है कि कहीं चिराग पासवान महागठबंधन का हिस्सा न बन जाएं। अगर ऐसा हुआ, तो भाजपा की परेशानी बढ़ जाएगी। भाजपा को यह भी पता है कि लालू प्रसाद चिराग को साथ लाने की कोशिश में हैं। तेजस्वी यादव और चिराग के बीच रिश्ते भी ठीक हैं।
अब खबर है कि भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े को लोजपा के दोनों गुटों को एक करने की जिम्मेदारी दी गई है। वे इस काम में लग गए हैं। उन्हें भरोसा है कि वे चाचा-भतीजा को साथ लाने में कामयाब होंगे।
बिहार में दलितों में सबसे ज्यादा आबादी पासवान जाति की है। माना जाता है कि इनकी आबादी 6 प्रतिशत है। छह प्रतिशत वोट कम नहीं होेते। इसलिए भाजपा चाहती है कि दोनों गुट एक हो जाएं, ताकि पासवान वोटों का बंटवारा न हो।
2020 विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने खुल कर नीतीश कुमार की पार्टी को हराने का काम किया. जदयू को 35 सीटों का नुकसान हुआ। माना जाता है कि नीतीश के दबाव में ही पारस गुट की लोजपा को लोकसभा में मान्यता मिली और पारस मंत्री भी बने। अब नीतीश कुमार अलग है, तो भाजपा पर वह दबाव भी नहीं रहा। देखना है कि भाजपा की कोशिश कितनी जल्दी सफल होती है।
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