सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अलीगढ़ मुस्लिम विवि का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा है। कोर्ट के इस फैसले का विभिन्न संगठनों खासकर मुस्लिम समाज के संगठनों ने स्वागत किया है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने 2005 में एक फैसले में एएमयू को अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान मानने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच ने 1967 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया, जिसके तहत किसी संस्थान की स्थापना कानून के जरिये होने पर उसे अल्पसंख्यक दर्जा नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने इसके साथ ही कुछ परीक्षण तय किए, जिसके आधार पर किसी संस्थान को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना तय होगा। इन परीक्षणों में यह भी शामिल है कि क्या संस्थान का निर्माण विशेष समुदाय द्वारा किया गया है या नहीं। विशेषज्ञों ने कहा कि इस बात के ढेर सारे सबूत हैं कि एएमयू का निर्माण मुस्लिम समुदाय में शिक्षा के प्रसार के लिए मुस्लिम समाज के चंदे से किया गया।
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उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अच्छा फैसला कहा। इतिहासकार इरफान हबीब ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे अल्पसंख्यकों को संविधान द्वारा दिए अधिकार की रक्षा होगी। देश के बड़े पत्रकारों, बुद्धिजीवीयों ने फैसले का स्वागत किया है। कहा कि चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन सही फैसला सुनाया है। विवि की वीसी प्रो. नयमा खातून ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का सभी सम्मान करते हैं और वे फैसले पर कानूनविदों की राय लेंगी।