पिछले दस वर्षों में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार पर चप्पल फेंकी गई, वह भी उनके अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में। चप्पल फेंके जाने का वीडियो वायरल है। सोशल मीडिया में इस खबर की चर्चा तो है, लेकिन मुख्य धारा की मीडिया टीवी चैनल तथा अखबारों से यह खबर गायब है। राहुल गांधी ने गुरुवार को नीट पेपरलीक के खिलाफ प्रेस वार्ता करते हुए इस घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी का कॉन्सेप्ट था- हजारों करोड़ रुपए की मार्केटिंग और डर। एजेंसी का डर, मीडिया का डर, सरकार का डर। उनके काम करने का तरीका लोगों को डराने-धमकाने का है, लेकिन अब उनसे कोई नहीं डरता। आपने देखा होगा बनारस में किसी ने उन्हें चप्पल मार दी थी।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रीया श्रीनेत ने भी प्रधानमंत्री की कार पर चप्पल फेंके जाने का वीडियो शेयर करते हुए कहा कि वाराणसी से नरेंद्र मोदी सांसद हैं. वहाँ उनके ख़िलाफ़ भारी असंतोष है सिर्फ़ 1.5 लाख जीत की मार्जिन इसका प्रमाण भी है. वह देश में सबसे कम अंतर से जीतने वाले प्रधानमंत्री हैं उनकी कार पर चप्पल फेंकना ग़लत है, इसका समर्थन कोई नहीं कर रहा लेकिन लोगों के अंदर रोष और प्रतिकार को भी समझना होगा। बेबसी और बदहाली से उपजे इस ग़ुस्से का समाधान करना काशी के सांसद का कर्तव्य है और यही लोकतंत्र की पहचान है!
दो दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में थे। उनके रोड शो में मोदी-मोदी के नारे लग रहे थे, तभी किसी ने उनकी कार पर चप्पल फेंक दी, जिसे सुरक्षाकर्मी हटाते दिख रहे हैं।
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प्रधानमंत्री ही नहीं, किसी भी नेता की गाड़ी पर चप्पल फेंके जाने का समर्थन नहीं किया जा सकता है, लेकिन सवाल तो उठता है कि जो खुद को भगवान द्वारा भेजा गया विशेष दूत माने हों, उनसे ऐसी नाराजगी क्यों। चुनाव परिणाम भी बताता है कि बनारस में उनकी लोकप्रियता घटी है। वे महज एक लाख 52 हजार वोटों से जीत सके। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा अंतर से राहुल गांधी जीते। रायबरेली में उनकी जीत का अंतर पौने चार लाख था। यहां ध्यान देनेवाली बात है कि प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव क्षेत्र के अगल-बगल की सीटों पर भाजपा को करारी हार झेलनी पड़ी। प्रधानमंत्री के बनारस से चुनाव लड़ने का फायदा भाजपा को आसपास की सीटों पर नहीं मिला।