लोजपा प्रमुख चिराग पासवान पर पहली दफा तीन संगीन आरोप लगे हैं। ये ऐसे आरोप हैं, जिनसे उनकी पूरी राजनीति संकट में फंस सकती है। उनके खिलाफ मामला हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तथा चुनाव आयोग तक पहुंच चुका है। इधर उनकी पार्टी के तीन सांसदों के भाजपा के संपर्क में होने की खबर से नया भूचाल है। चिराग पासवान ने आनन-फानन में कोर कमेटी की बैठक की और दिल्ली में भाजपा नेताओं से मुलाकात करने के लिए चले गए। उन पर लगे आरोपों तथा उनके सांसदों के भाजपा में जाने की खबरों से दलित समुदाय में दो तरह की प्रतिक्रिया देखनी को मिली है।

चिराग पासवान पर आरोप है कि उनके खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज है, लेकिन उन्होंने यह जानकारी अपने चुनावी हलफनामें में छुपाया। दूसरा आरोप है कि शहरबन्नी में उनके पास 80 एकड़ जमीन है। इस जानकारी को भी उन्होंने चुनावी हलफनामें छुपा लिया। उनकी बीटेक की डिग्री पर भी सवाल उठाए गए हैं। शिकायतकर्ता राकेश सिंह ने खुद को भाजपा कार्यकर्ता बताया है, वहीं भाजपा ने इससे इनकार किया है।

इस बीच उनके पांच में से तीन सांसदों के भाजपा में जाने की खबर से हड़कंप मच गया। हालांकि समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी ने इसे पूरी तरह अफवाह करार दिया है।

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इधर बिहार बिहार के दलित समाज में दो तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली। नौकरशाही डॉट कॉम से बात करते हुए जीतनराम मांझी के साथ काम करने वाले एक नेता ने कहा कि एनडीए में रहकर प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करेंगे, तो ये सब होना है। दलित नेता सुप्रीम कोर्ट के एससीएसटी रिजर्वेशन में कैटगरी बनाने के समर्थन में आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना था कि चिराग पासवान 10 साल से चुप थे। अब जबकि भाजपा को बहुमत नहीं मिला, तो आंख दिखा रहे हैं। उनकी राजनीति की कोई विचारधारा नहीं है। वहीं कई दलित राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि भाजपा जानबूझ कर पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही है। चिराग पासवान की लोकप्रियता के बढ़ते ग्राफ से भाजपा और जदयू दोनों परेशान हैं।

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By Editor


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