लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने भाजपा की हिंदू-मुस्लिम राजनीति से न सिर्फ खुद को अलग कर लिया, बल्कि इस राजनीति को नफरत की राजनीति कहा। उनसे पूछा गया था कि क्या सड़क पर नमाज पढ़ना उचित है, तो चिराग ने कहा कि ये सब फालतू की बात है। नेताओं को इन बातों से दूर रहना चाहिए। धर्म निजी मामला है। खास दिनों में पहले से लोग सड़क पर नमाज पढ़ते रहे हैं। ऐसे मामलों को तूल देने से समाज में नफरत फैलती है। चिराग के इस बयान के बाद भाजपा में सन्नाटा है।
चिराग पासवान एक टीवी चैनल के विशेष कार्यक्रम में बोल रहे थे। उनसे पूछा गया कि आपके राज्य में आपके सहयोगी दल के नेता ने कहा कि सड़क पर नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगना चाहिए। इस बारे में आपका ख्याल क्या है। इस पर चिराग ने बिना लाग-लपेट के कहा कि ये सब फालतू की बात है। इसके बाद प्रश्न करने वाले पत्रकार का चेहरा फक पड़ गया। फिर उसने पूछा कि आपके सहयोगी दल ही प्रतिबंध की बात कर रहे हैं। चिराग ने फिर कहा कि वे ऐसी राजनीति से सहमत नहीं हैं। इस तरह की राजनीति से तनाव फैलता है।
लोजपा प्रमुख ने एक और बात कह कर सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र की राजनीति में उनका मन नहीं लगता है। वे अपने प्रदेश बिहार की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे दिल्ली की राजनीति में ज्यादा दिन नहीं रहेंगे। वे अपने प्रदेश बिहार लौटेंगे। यह भी कहा कि वे 2030 से पहले बिहार की राजनीति में लौट जाएंगे। उनसे पूछा गया था कि क्या वे विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, तो कहा कि इस बार नहीं लड़ेंगे। उनके बिहार लौटने की बात से राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चा हो रही है।