‘हनुमान’ के अच्छे दिन! दो वर्ष बाद एनडीए की मीटिंग में चिराग
‘हनुमान’ के अच्छे दिन! दो वर्ष बाद एनडीए की मीटिंग में चिराग
खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान घोषित करनेवाले चिराग पासवान के अच्छे दिन आ गए लगता है। एनडीए से मिला न्योता।
लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को दो वर्ष बाद आज पहली बार एक मीटिंग में शामिल होने का न्योता मिला। और वे सहर्ष शामिल हुए। एनडीए की यह बैठक राष्ट्रपति चुनाव से एक दिन पहले आज दिल्ली में हुई, जिसमें चिराग पासवान भी शामिल हुए। स्वाभाविक है इस खबर से चिराग समर्थकों में खुशी है। अभी तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या उनकी पार्टी जदयू की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
जदयू की घुड़की के बाद तीसरी बार ठंडी पड़ी भाजपा
दो साल पहले चिराग पासवान एनडीए से अलग हो गए थे। उन्होंने अकेले दम पर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था और एनडीए के घटक जदयू के खिलाफ हर सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा था। जदयू को इसका भारी नुकसान हुआ था और वह पहले नंबर की पार्टी से तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। उसे चिराग के कारण लगभग 35 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा।
चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ आक्रामक प्रचार किया था। चुनाव के बाद भी चिराग पासवान ने नीतीश कुमार पर हमला जारी रखा। हां, उन्होंने भाजपा के खिलाफ कभी कोई राजनीतिक बयान नहीं दिया।
एक बात तो तय लगती है कि चिराग पासवान को फिर से एनडीए में शामिल करने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सहमति नहीं दी होगी। माना जा रहा है कि यह निर्णय भाजपा का है। चिराग पासवान के एनडीए की बैठक में शामिल होने को लोजपा में किसी एकीकरण की संभावना के रूप में भी देखा जा सकता है। इसका आधार यह है कि ऐसी चर्चा पहले भी होती रही है। स्थिति यह है कि पार्टी का सामाजिक आधार चिराग के साथ है और उन्हें छोड़कर सारे सांसद दूसरे गुट में हैं। इनकी एकता से भाजपा को लाभ होगा, लेकिन क्या नीतीश कुमार यह स्वीकार करेंगे