चिराग ने स्वीकारा पारस के एवज दो मंत्रिपद खो बैठे नीतीश
नौकरशाही डॉट कॉम ने सवाल उठाया था कि कैबिनेट में अनुपातिक नुमाइंदगी पर अड़े नीतश ने एक मंत्रिपद क्या इसलिए स्वीकार किया कि वे LJP तोड़वाना चाहते थे?
चिराग पासवान ( Chirag Paswan) ने इसी लाइन पर आज अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि “जिस तरह से चीजें सामने आई हैं, उससे ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार ने मुझे मंत्री न बनने देने के लिए अपनी पार्टी के नेताओं, खासकर राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह की बलि दी है.”
गौरतलब है कि 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद जब मोदी कैबिनेट ने शपथ ली तो उस समय नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को ऐन वक्त में शपथ लेने से मना कर दिया था. जबकि आरसीपी शपथ लेने के दिल्ली पहुंच चुके थे.
मंत्रिमंडल विस्तार : चिराग से बदले की जदयू ने चुकाई कीमत!
तब जदयू की ओर से कहा गया था कि वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में सांकेतिक भागीदारी स्वीकार नहीं करेगा. लेकिन करीब दो साल बाद जब उसी मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ तो बिला हुज्जत जदयू ने महज एक मंत्रिपद पर ही सब्र कर लिया.
याद रहे कि मंत्रिमंडल विस्तार से कुछ दिन पहले नीतीश कुमार ने दिल्ली में डेरा डाल रखा था. तब बताया गया था कि नीतीश आंख का ऑपरेशन कराने गये हैं.
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उससे पहले का घटनाक्रम यह था कि रातों रात पशुपति पारस ने एलजेपी के छह में से पांच सांसदों के साथ अलग होने का ऐलान कर दिया था. और इसके दूसरे ही दिन लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने पारस गुट के नेता पशुपति पारस को संसदीय दल के नेता के रूप में अपनी मुहर लगा दी थी.
ऐसा लग रहा था कि ये सारे कदम पहले से लिखी पटकथा की तरह उठाये जा रहे हैं.
ऐसा प्रमाणिक तौर पर नहीं कहा जा सकता कि नीतीश कुमार ने ही ये सारी रणनीति तैयार की होगी. परंतु नीतीश की सियासत की शैली पर नजर रखने वालों को पता है कि वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कई बार बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार रहते हैं.
और हो सकता है कि नीतीश ने चिराग से 2020 चुनाव में हुए नुकसान का बदला लेने के लिए यह रणनीति बनायी होगी.