नये नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ सिटिजन फोर्म ने पटना में जोरदार प्रतिवाद मार्च किया औरकहा कि यह भारत की अंतरात्मा पर हमला है.
‘ सिटीजन्स फोरम ‘ ने जीपीओ गोलंबर से बुद्ध स्मृति पार्क तक मार्च निकाला
पटना, 23 दिसम्बर। ‘सिटीजन्स फोरम ‘ (जनतांत्रिक मूल्यों व नागरिक सरोकारों के लिए समर्पित) की ओर से नागरिकता संशोधन कानून ( सी.ए. ए) के खिलाफ पटना के नागरिकों, बुद्धिजीवियों, रंगकर्मियों, साहित्यकारों, कलाकारों ने प्रतिवाद मार्च निकाला।
सी.ए. ए वापस लो, नागरिकता के साथ धर्म को जोड़ना बंद करो, एन आर.सी नहीं चलेगा , सरफरोशी की तमना अब हमारे दिल मे है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल है जैसे नारों के साथ प्रतिवाद मार्च स्टेशन से होते हुए बुद्धा स्मृति मार्च आकर सभा मे तब्दील हो गया।
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वक्ताओं ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को राष्ट्रीयता नागरिक रजिस्टर से अलग करके नहीं देखा जा सकता। नागरिकता निर्धारित करने में धर्म की भूमिका नहीं होनी चाहिए। सी.ए.ए दरअसल लोगों के जनहित से जुड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है ताकि ध्यान भटका कर साम्प्रदायिक आधार पर कैसे विभाजन कर चुनावी फायदा उठाया जा सके। उन्माद व बहकावे के बजाय समझदारी से काम लेकर विचार करना चाहिए।
पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद ने आने सम्बोधन में कहा ” ये नागरिकता संशोधन कानून सविंधान की मूल भावना के झिलाफ़ जाकर मनु का संविधान लागू करना चाहती है। ”
मुजफ्फरपुर से आये शाहिद कमाल ने उपस्थित लोगों से कहा ” गरीबों से उनकी पहचान का कागज़ मांगा जाएगा वो कहाँ से उपलब्ध कराया जा सकेगा। बहुत सारी घुमन्तु जातियां हैं जिनके पास कुछ नहीं होता। ”
मजदूर नेता अरूण मिश्रा ने प्रतिवाद सभा को सम्बोधित करते हुए कहा ” प्रधानमंत्री ने कल की सभा मे कहा कि एन. आर.सी नहीं लागू होगा जबकि गृहमंत्री संसद में खुलेआम उसे लागू करने की बात करते हैं। यहां प्रधानमंत्री को अपने गृहमंत्री को बर्खास्त करना चाहिये।”
चक्रवर्ती अशोक प्रियदर्शी ने अपने सम्बोधन में कहा” अल्पसंख्यकों को डराकर और बहुसंख्यकों को वोटबैंक में तब्दील करने की राजनीति हरण चलने वाली है। दुनिया भर में भी यह कहीं नहीं चला है।जिस देश मे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री खुलेआम झूठ बोलता है इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या होगा” ।
ए. एन. सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान के डी. एम.दिवाकर ने कहा ” आज बेरोजगारी का आंकड़ा पैंतालीस साल में सबसे अधिक है। काला धन, भ्र्ष्टाचार मिटाने सम्बन्धी सवाल उनसे न पूछे जाएं, कारखानों, स्कूलों, अस्पतालों से सम्बन्धी प्रश्न न पूछे जाएं इसलिए भटकाने के लिए सी.ए.ए जैसा कानून लाया गया है।”
सी.ए. ए कानून को मज़दूरों के लिए खतरनाक बताते हुये सामाजिक कार्यकर्ता गालिब खान ने कहा ” भारत का मजदूर वर्ग और सबसे बुरी मार पड़ेगी इस सी.ए. ए की । और बिना वर्ग के दृष्टिकोण से लड़े हम नागरिकता संशोधन कानून के नहीं लड़ सकते।”
सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता बलदेव झा ने इस कानून को धर्मनिरपेक्ष संविधान के लिए घातक बताते हुए पूछा ” यदि धर्म के आधार पर देश बनना सही होता तो पाकिस्तान बंग्लादेश से क्यों अलग हुआ? दरअसल आदिवासी, अल्पसंख्यक लोगों की नागरिकता छीनना चाहती है। सरकार नई चाल चलकर उसकी समस्याओं के समाधान के रास्ते को बंद करना चाहती है।”
शिक्षाविद अनिल कुमार राय ने कहा ” सी.ए. ए को पढ़ने पर पता चलता है कि यह धर्मनिरपेक्ष आधारों का कुठाराघात है। ये इतनी बड़ी साजिश के तहत इस कानून को धीरे धीरे लाया जा रहा है। भारत की अंतरात्मा पर हमला किया गया है। धर्मनिरपेक्षता पर हम कोई भी आंच नहीं आने देंगे।”
ए. आई.एस. एफ के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत ने सभा को कहा ” हम नौजवानो को सी.ए. ए से होने वाली कठिनाइयों का ठीक से अध्ययन करना चाहिए। ये देश भारत के लोगों का है किसी को अधिकार नहरें है कि वो ये तय करे कि कौन नागरिक है और कौन नहीं है।”
एनाक्षी डे विश्वास, ऋचा और ने संविधान की प्रस्तावना का पाठ करते हुए कहा ” हम भारत के लोग भारत के धर्मनिरपेक्ष, संप्रभु, समाजवादी गणराज्य को अक्षुण्ण रखना चाहते हैं।”
संचालन सामाजिक- राजनीतिक कार्यकर्ता नन्दकिशोर सिंह ने किया।
सभा को जयप्रकाश ललन, एस. यू.सी.आई के एम.के पाठक, ऋत्विज, राधेश्याम, वारुणी पूर्वा , सरफराज , समृद्धि, पंकज वर्मा आदि ने भी संबोधित किया।
प्रतिवाद मार्च में बड़ी संख्या में पटना नागरिक मौजूद थे। प्रमुख लोगों में थे रूपेश, तारकेश्वर ओझा, इंद्रजीत, जयप्रकाश , सौजन्य अनीश अंकुर , गजेंद्रकांत शर्मा, आकांक्षा, कंचन, जफर, गालिब कलीम, गोपाल शर्मा, अजय कुमार सिन्हा, अरशद अजमल , पुष्पेंद्र शुक्ला, विवेक, पार्थ सरकार, विजयकांत सिन्हा, विनीताभ, बालगोविंद सिंह, सरफराज, भाग्य भारती, महेश रजक आदि मौजूद थे।