नागरिकता कानून (CAA) पर आज हुई सुनवाई पर देश के करोड़ों लोगों की निगाहें टिकी थीं लेकिन कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र के विचार जानने के लिए चार हफ्ते का समय दे कर लोगों की धड़कनें और बढ़ा दीं.
अदालत ने कहा है कि केंद्र सरकार का इस बारे में मंतब्य सुनने के बाद ही कोई फैसला लिया जायेगा.
अदालत ने कहा कि यह मामला संवैधानिक है लिहाजा इस पांच जजों की बेंच को सौंपा जा सकता है.
फिलहाल इस मामले को चीफ जस्टिस बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन बेंच सुनवाई कर रही है.
CAA पर फिलहाल रोक से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ पांच जजों की संविधान पीठ ही अंतरिम राहत दे सकती है. केंद्र सरकार को नई याचिकाओं पर चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. दर असल केंद्र
सरका के प्रतिनिधी ने कहा कि 144 याचिकाओं में से उन्हें करीब 60 याचिकायें ही दी गयी हैं. इस पर कोर्ट ने उन्हें चार हफ्ते
का समय दे दिया.
इस मामले पर अपना पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि ये देश की सबसे बडी अदालत है. इस पर सीजेआई ने सुरक्षाकर्मियों को बुलाया. CJI एसए बोबड़े ने कहा, हमे बार एसोसिएशन के साथ बात करनी चाहिए.
अटॉर्नी जनरल ने कहा, आज 144 याचिकाएं लगी हैं. फिर CJI बोले, सभी को कोर्ट में आने की क्या जरूरत, लेकिन सभी पक्षों के साथ बैठक करेंगे. लोग अपना सुझाव दे सकते हैं. अटॉर्नी जनरल ने कहा, कुल मिलाकर 140 से ज्यादा याचिकाएं हैं. हमें हलफनामा भी दाखिल करना है. अटॉर्नी जनरल ने कहा, अभी प्रारंभिक हलफनामा दे रहे हैं. केंद्र को 60 याचिकाएं मिली हैं.
बड़ी बेंच को सौंपा जाये
कपिल सिब्बल ने कहा, पहले ये तय हो कि इसे बड़ी बेंच यानी पांच जजों की संविधान पीठ भेजा जाना चाहिए या नहीं लेकिन इस प्रक्रिया को तीन हफ्ते के लिए टाला जा सकता है. एक अन्य विकील व कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. यूपी में 30 हजार लोग चुने गए हैं. फिर कपिल सिब्बल बोले, इसी मुद्दे पर जल्द फरवरी में कोई तारीख सुनवाई के लिए तय हो.
CJI ने कहा, फिलहाल हम सरकार को प्रोविजनल नागरिकता देने के लिए कह सकते हैं. हम एकपक्षीय तौर पर रोक नहीं लगा सकते.
अटार्नी जनरल ने कहा, अगर ये लोग इस तरह रोक चाहते हैं तो अलग से याचिका दाखिल करें. याचिकाकर्ता ने कहा, बंगाल और असम विशिष्ट राज्य हैं. सुनवाई आज ही शुरू हो. असम में बांग्लादेशियों का मुद्दा है. इनमें आधे बांग्लादेश से आने वाले हिंदु हैं और आधे मुस्लिम. असम में 40 लाख बांग्लादेशी हैं. इस कानून के तहत आधे ही लोगों को नागरिकता मिलेगी. ये पूरी डेमोग्राफी को बदल देगा. इसलिए सरकार को फिलहाल कदम उठाने से रोका जाना चाहिए.
मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने कहा, मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए. कपिल सिब्बल ने कहा, तब तक दो महीने के लिए प्रक्रिया को पोस्टपोन कर दिया जाए. इस पर अटार्नी जनरल ने विरोध किया और कहा ये स्टे होगा. CJI ने कहा, ये केस संविधान पीठ को जा सकता है. हम रोक के मुद्दे पर बाद में सुनवाई करेंगे.
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