सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एससी-एसटी रिजर्वेशन के भीतर रिजर्वेशन को सही करार दिया है। इस फैसले से एक नई बहस शुरू हो गई है। कई लोगों ने फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सात जजों की पीठ ने दिया है। फैसला 6-1 से दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जहां एक तरफ कहा जा रहा है कि इससे हाशिये के तबके को लाभ होगा। एससी-एसटी दोनों श्रेणियों में कुछ जातियां आरक्षण का ज्यादा लाभ लेकर अधिक विकसित हो गई हैं, जबकि कुछ जातियां पीछे छूट गई हैं। फैसले का समर्थन करनेवाले लोगों का कहना है कि जो जातियां पीछे छूट गई हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लाभ होगा। इसके विपरीत कई लोगों का कहना है कि आरक्षण को आर्थिक नजरिये से नहीं देखा जा सकता। यह सामाजिक आधार पर दिया गया है। इसलिए फैसले पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।
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इस फैसले के बाद अब राज्य सरकारें एससी-एसटी को श्रेणियों में बांटकर रिजर्वेशन दे सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला, एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा तथा जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोटा के भीतर कोटा गुणवत्ता के विरुद्ध नहीं है. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाले लोग अक्सर सिस्टम की आलोचना करते हैं कि पीछे छूट गए लोगों को मौका नहीं मिलता है। सब कैटेगरी संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत निहित समानता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती. हालांकि राज्य अपनी मर्जी या राजनीतिक लाभ के आधार पर सब कैटेगरी बना सकती हैं। कोर्ट के फैसले के बाद से सोशल मीडिया में रिजर्वेशन ट्रेंड कर रहा है, जहां अधिकतर लोग फैसले पर विरोध जता रहे हैं। इसी के साथ देश में इस फैसले पर नई बहस छिड़ गई है।