सीबीआई ने एनडीटीवी जांच में कुछ भी गलत नहीं पाया। इसने क्लीन चिट देते हुए कहा गया कि कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई। सारे कार्य सामान्य ढंग से हो रहे थे। इसी के साथ सवाल उठता है कि जब कोई गड़बड़ी नहीं मिली, तो इसके मालिक प्रणब रॉय को सात साल तक परेशान क्यों और किस आधार पर किया गया। परेशान हो कर जब प्रणब रॉय ने एनडीटीवी से खुद को अलग कर दिया, शेयर बेच दिए, जब अडानी समूह का कब्जा हो गया, तो तब क्लीन चिट दिया गया। सवाल है कि यह सब किसके लाभ के लिए किया गया।
एनडीटीवी में काम कर चुके रवीश कुमार ने सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट पर कहा है कि इसके बाद भी प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि वे संविधान की रक्षा करते हैं । क्या यह एक मीडिया संस्थान को ख़त्म करने का लंबा गेम नहीं होगा ? लेखक अशोक कुमार पांडेय ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- NDTV और प्रणव रॉय की सात साल की जांच के बाद CBI ने क्लोज़र रिपोर्ट में कहा कोई गड़बड़ी नहीं मिली, सब नॉर्मल बिजनेस ट्रांजेक्शन पाए गए। और इस खेल में NDTV अदानी के पास चला गया। आपको लगता है क़ानून का राज है?
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द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई ने एनडीटीवी के संस्थापक प्रणब रॉय तथा राधिका रॉय के खिलाफ भ्रष्टाचार तथा धोखाधड़ी का केस बंद कर दिया है। सीबीआ ने एनडीटीवी को पूरी तरह त्लीन चिट दे दी है और कहा कि संस्थान के कामकाज में कोई गड़बड़ी नहीं थी। कोई प्रॉड नहीं किया गया। सीबीआ को आर्थिक गड़बड़ी करने के भी कोई सबूत नहीं मिले हैं। सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट में लिखा है कि एनडीटीवी ने आईसीआईसीआई बैंक से कर्ज लेने में भी कोई अनियमितता नहीं की गई है। याद रहे 2022 में प्रणब रॉय से 22 दिनों तक पूछताछ चली थी, जिसके बाद इस पर अडानी का कब्जा हो गया।
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