क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्वास्थ्य और भी ज्यादा बिगड़ गया है? तेजस्वी यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री के नाम पर मीटिंग बुलाई गई। सारे अधिकारी मौजूद थे। सभी जिलाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े थे, लेकिन मीटिंग में नीतीश कुमार एक शब्द नहीं बोले। मुख्यमंत्री ही चुप थे, तो भला अधिकारी कैसे बोलते। सारे अधिकारी भी चुप ही रहे। जिलाधिकारी चुप रहे और 9 मिनट में मीटिंग खत्म कर दी गई। तेजस्वी यादव ने जो जानकारी दी है, वह चिंता बढ़ाने वाली है। बिहार जैसे बड़े राज्य में आखिर ये क्या हो रहा है। मुख्यमंत्री बोलने की स्थिति में नहीं है तो सरकार कौन चला रहा है। कैसे चला रहा है। भाजपा के लोग इस चिंताजनक स्थिति को भी सामान्य बताते रहे हैं। अगर नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के साथ रहते तो यही भाजपा इस स्थिति पर देश में बवाल कर देती। राष्ट्रपति शासन की मांग उठ जाती।
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा-आज मुख्यमंत्री जी ने अपने आवास में ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत हजारों करोड की विभिन्न योजनाओं संबंधित कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार और विज्ञापन में सरकार ने करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए। वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारी कार्यक्रम से जुड़े थे। लेकिन मुख्यमंत्री के बिना एक शब्द बोले महज मिनट में ही कार्यक्रम खत्म कर दिया गया।अतिथि और बाकी मंत्री बिना चाय पिए और एक शब्द बोले वापस चले गए। आशा करते है कि सब सही और स्वस्थ है? मुख्य सचिव कार्यक्रम में थे नहीं या बुलाया नहीं गया था? अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के बोलने पर पाबंदी लगा दी है। मीडिया और पब्लिक से संवाद खत्म करा दिया है। जो कार्यक्रम होगा, के घर में ही होगा और स्थायी चुनिंदा अधिकारी ही रहेंगे।
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इधर बिहार की जनता को कुछ पता नहीं है। कोई बतानेवाला नहीं है। प्रदेश में अपराध बढ़ रहा है, भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है, पुल गिर रहे हैं, पर सत्ता में कोई हलचल नहीं है। कोई चिंता नहीं है। तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता हैं। उनकी बात को गंभीरता से लेते हुए सरकार को पूरी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
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