बिहार में अल्पसंख्यकों के बजट में 26 प्रतिशत की भारी कटौती संबंधी नौकरशाही डॉट कॉम में प्रमुखता से छपी खबर का विपक्षी पार्टियों पर जोरदार असर हुआ है. मौजूद सत्र में कांग्रेस ने इस मुद्दें को विधानसभा में उठाने का फैसला किया है.
विधान सभा में कांग्रेस के सचेतक डॉ. मोहम्मद जावेद ने नौकरशाही डॉट के एडिटर इर्शादुल हक के एडिटोरियल कमेंट 13 वर्षों में पहली बार अल्पसंख्यकों के बजट में 26 पर्सेंट की कटौती को पढ़ने पर उनसे कहा- ‘हम इस मुद्दे को सदन में उठायेंगे’.
उधर विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ जोरदार हंगामा करने के मूड में है.
गौरतलब है कि 2005 से अब तक यानी 13 वर्षों से समुदाय आधारित बजट में नीतीश सरकार ने लगातार वृद्धि जारी रखी लेकिन 2018-19 के इस बार के बजट में अल्पसंख्यक विभाग के बजट में 26 प्रतिशत की भारी कटौती कर दी. पिछले वित्त वर्ष में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का बजट 595 करोड़ का था लेकिन नये वित्त वर्ष में इसे घटा कर 435 करोड़ कर दिया गया. राजद नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी ने सरकार के इस कदम को भाजपा की अल्पसंख्यकों के प्रति उसकी मानसिकता का परिचायक बताया था.
सवाल उठने लगे हैं कि यही नीतीश सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण के बजट में पिछले 13 वर्ष में पहली बार ये भार कटौती क्यों की? सिद्दीकी ने यह कहा कि यह भाजपा के सामने नीतीश के झुकने की निशानी है.
लेकिन दो टके का सवाल यह है कि यही नीतीश कुमार भाजपा गठबंधन में रहते हुए अल्पसंख्यक कल्याण पर लगातार बजट में वृद्धि करते रहे. लेकिन जब दूसरी बार जुलाई 2017 में फिर से भाजपा से गठबंधन किया तो उन्होंने इस कटौती को क्यों होने दिया?