बसों पर कोरोना जागरूरकता का नारा, यात्री से भरे रहते हैं वहान
बिहारशरीफ से संजय कुमार
बिहार सरकार ने कोरोना काल के बाद निजी एवं सरकारी वाहनों के परिचालन हेतु कोविड-19 दिशा निर्देश जारी किया था ।ताकि लोग संक्रमित होने से बच सकें। परंतु ,सरकारी दिशा निर्देश का पालन प्राइवेट बस क्या ,सरकारी बसों द्वारा भी नहीं पालन किया जा रहा है।
रांची रोड पर बस स्टैंड के मुख्य निकास द्वार पर पटना एवं अन्य स्थानों के लिए खुलने वाली बसें खड़ी रहती है ।इन सरकारी वाहनों पर बड़े बड़े अक्षरों में:- आओ मिलकर समाज की भागीदारी से इसे हराए ।दो जनों के मध्य थोड़ी सी दूरी ,अब है बहुत जरूरी ।कोरोना से घबराए नहीं ,सावधानी से इलाज कराएं ।कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा घटाएं ।घर के बाहर मास्क जरूर पहने ।भीड़ वाले क्षेत्र में जाने से बचें ।यात्रा से रखे दूरी ,जब तक नहीं बहुत जरूरी आदि बातें लिखी हुई रहती है।
लगता है कि बिहार सरकार की मंशा सिर्फ कानून बनाकर अपना पल्लू झाड़ लेन तक ही सीमित है ।आखिर क्यों सरकार लाखों रुपया बस पर लिखने में खर्च करती है ।जबकि बस में ठसाठस बैठ रहे हैं ।
मास्क लगाना भी जरूरी नहीं समझते हैं ।ड्राइवर से लेकर कंडक्टर तक सभी बिना मासक के नजर आते हैं। कंडक्टर कभी यात्रियों से मास्क लगाने हेतु कभी आग्रह भी नहीं करते हैं। बिहार शरीफ से राजधानी पटना बस आती जाती है ।परंतु ,कभी चेकिंग नहीं हो पाती है ।जांच हेतु कौन पदाधिकारी नियुक्त या किसकी जवाबदेही है ,जो आराम से घर बैठे ही अपना फर्ज निभाने में लगे हैं। यही हालात प्राइवेट वाहनों में भी देखने को मिल रही है। जबकि ठंङ बढ़ने के साथ-साथ कोरोना ने फिर अपना पैर फैलाना शुरू कर दियाहैं।