बिहार के मुख्यसचिव को इस बात का जवाब देने को कहा गया है कि वह बतायें कि अगर बिहार से गुजर रही ट्रेन में शराब मिल जाये तो क्या आप ट्रेन जब्त कर लेंगे?
यह तीख लेकिन तर्कपूर्ण सवाल पटना हाईकोर्ट ने मुख्यसचिव से पूछा है. इतना ही नहीं मुख्यसचिव को अदालत ने हुक्म दिया है कि वह खुद हाजिर हो कर इस सवाल का जवाब अदालत को दें.
अंजनी कुमार सिंह बिहार के मुख्यसचिव हैं.
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की पीठ ने कहा है कि मुख्यसचिव खुद अदालत में हाजिर हो कर इस बात का जवाब दें. दर असल नार्थ बंगाल स्टेट ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन की बस बरौनी होते हुए जा रही थी. इस बस की सीट के नीचे से चालीस लीटर शराब बरौनी पुलिस ने बरामद किया. इस आरोप में पुलिस ने बस को जब्त कर लिया. नार्थ बंगाल स्टेट ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन ने जब्ती के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.
गौरतलब है कि बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. इस कानून के तहत बिहार की सीमा में कहीं भी शराब पीना, लाना, ले जाना या रखना गैरकानूनी घोषित है. कानून की खिलाफवर्जी करने वालों के खिलाफ कारावास तक की सजा है.
ऐसे में हाईकोर्ट ने जिस सवाल को पूछा है उससे इस कानून के बेजा इस्तेमाल पर भी प्रश्नचिंह लग गया है. बसों में शराब ले जाने की समस्या को बिहार बस ट्रांस्पोर्ट से जुड़े एसोसिएएशन्स से जुड़े नेताओं ने पहले भी उठाया था. ट्रक ड्राइवरों और मालिकों का तर्क है कि गाड़ी में यात्रा करने वाले अपने साथ क्या ले जाते हैं इसकी जिम्मेदारी बस स्टाफ पर नहीं डाली जा सकती.
इसी सवाल से जुड़े मामले का सामना अब पश्चिम बंगाल की सरकार के स्वामित्व वाली बस को है. ऐसे में मुख्य न्यायधीश ने जो सवाल बिहार के मुख्यसचिव से किया है उसके जवाब के बाद बस मालिकों की समस्याओं के समाधान का भी रास्ता खुलने की उम्मीद बढ़ गयी है.