अपराध और शराबबंदी की समीक्षा रिपोर्ट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सकते में डाल दिया है. पहले उनका आकल था की शराबबंदी के बाद अपराद में कमी आयी होगी पर 17 जिलों की समीक्षा से पता चला है कि 2016 की अपेक्षा 2017 में अपराध में 20 प्रतिशत इजाफा हो गया है.
जिन जिलो की समीक्षा की गयी उनमें- नालंदा, रोहतास, बेगूसराय, भागलपुर, शेखपुरा, नवादा, कैमूर, गोपालगंज, सहरसा, पूर्णिया, अरवल, वैशाली, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर, मधेपुरा, कटिहार और बक्सर शामिल किये गये. ये वो 17 जिले हैं जहां वर्ष 2016 के मुकाबले 2017 में अपराध में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
इस समीक्षा में यह भी पता चला है कि सूबे में होनेवाली कुल आपराधिक घटनाओं का 60 प्रतिशत सिर्फ 17 जिलों में हो रहा है। इलाका और थानावार अपराध की घटनाओं की समीक्षा के क्रम में यह बात सामने आई है।
यह समीक्षा बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सरकारी आवास में हुई. इस दौरान क्राइम से जुड़े मामलों का प्रेजेंटेशन भी दिया गया.यह बैठक चार घंटे तक चली.
समीक्षा की रिपोर्ट से सीरियस हो गये मुख्यमंत्री ने अपराध में वृद्धि वाले जिलों के एसपी और डीएसपी को बुलाकर समीक्षा करने का आदेश दिया. इसके लिए उन्होंने सीआईडी को यह जिम्मा सौंपने की बात कही.
समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य मार्ग समेत अन्य मुख्य सड़कों पर अपराध नियंत्रण और शराब लदे वाहनों पर नियंत्रण के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।
समीक्षा बैठक के दौरान में डीजीपी पीके ठाकुर, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, गृह विभाग के प्रधानसचिव आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के प्रधानसचिव चंचल कुमार समेत पुलिस मुख्यालय के वरीय पुलिस अफसर मौजूद थे.