पत्रकारिता को शर्मशार करने का दैनिक जागरण का इतिहास पुराना है. कठुआ में बच्ची से रेप नहीं होने की झूठी खबर फैलाने वाले अखबार ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान कार सेवकों के पुलिस गोली से मारे जाने की झूठी खबर फैलाई थी जिसके बाद इस अखबार का थू-थू हुआ था.
कठुआ में बच्ची से नहीं हुआ था दुष्कर्म’ शीर्षक से बीते शुक्रवार दैनिक जागरण ने देश भर में झूठ को सच साबित करने के उद्देश्य से अपने दो दर्जन से ज्यादा संस्करणों और आनलाइन एडिशन में प्रकाशित किया है. इस खबर के प्रकाशन के बाद सोशल मीडिया में तूफान मच गया. और लोगों ने हजारों की संख्या में इस झूठी खबर के खिलाफ टिप्पणिया करने लगे. दैनिक जागरण का अपने प्लानटेड स्टोरी में कहना है कि रेप जैसा अपराध हुआ ही नहीं था. तथ्यों को बेहद भ्रामक तरीके से रखते हुए दैनिक जागरण ने यह स्थापित करने की कोशिश की है कि कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार की कोई घटना नहीं हुई थी.
दैनिक जागरण की इस खबर को अगर थोड़ा भी टटोला जाए तो पहली नज़र में ही साफ़ हो जाता है कि यह खबर पूरी तरह से तथ्यहीन और खोखली है.
अपनी खबर का मुख्य आधार दैनिक जागरण ने इस तथ्य को बनाया है कि इस मामले में एक नहीं बल्कि दो अलग-अलग पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दाखिल की गई हैं. इनमें से किसी भी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रतिलिपि जागरण ने प्रकाशित नहीं की है.
दैनिक जागरण की ही खबर के अनुसार, ‘एक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्ची के शरीर पर छह ज़ख़्म हैं, जबकि दूसरी रिपोर्ट में सात ज़ख़्म का ज़िक्र है.’ ज़ख़्मों की संख्या में यह अंतर कहीं से भी यह स्थापित नहीं करता कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ. इस खबर के फेसबुक पर वॉयरल होने के बाद एबीपी न्यूज ने अपने वॉयरल सच में इस खबर की पड़ताल की और पाया कि जागरण की रिपोर्ट पूरी तरह झूठ और फरेब पर आधारित थी.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट में लिखा गया है कि ‘चौंकाने वाली बात यह है कि दोनों रिपोर्ट में बच्ची के साथ बलात्कार का कोई ज़िक्र नहीं है.’ यह बात पूरी तरह से झूठ है.
इस मामले की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आनलाइन आ चुकी है जिसमें साफ लिखा है कि बच्ची पर सेक्सुअल असाल्ट हुआ है. उसके गुप्तांग की झिल्ली फटी हुई है.
गौरतलब है कि दैनिक जागरण समय समय पर एक खास वर्ग और पार्टी के साथ बेशर्मी से खड़ा हो जाता है. जागरण समुह के मालिकान भारतीय जनता पार्टी के कोटे से राज्यसभा के सदस्य बनते रहे हैं.
1980 के आखिरी दशक में इस अखबार ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दे पर झूठ फैलाने का बड़ा पाप किया था. उसने एक बार खबर लिखी थी कि अयोध्या में कार सेवकों पर पुलिस ने अंधाधुंद गोली चलाई जिससे दर्जनों कारसेवक मारे गये. जबकि बीबीसी ने उस समय रिपोर्टी की थी कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं. जागरण के इस झूठ के बाद आसपास के इलाकों में भारी तनाव ही नहीं फैला बल्कि हिंसा तक हुई थी.