दीन बचाओ देश बचाओ रैली ने इतिहास रच दिया है. आजाद भारत की दो रैलियों – जेपी के समय की सम्पर्ण क्रांति के समय की रैली और लालू प्रसाद की गरीब रैली को टक्कर देने वाली रैली थी. जबकि उन दोनों रैलियों में सभी समुदायों की भागीदारी थी जबकि इस रैली में केवल मुसलमानों ने गांधी मैदान के कोने कोने को पाट दिया.
इस तरह इस रैली ने इतिहास रच दिया है. इस रैली की दूसरी खास बात है कि इस रैली में शालीनता और भाईचारे की बड़ी मिसाल कायम की है. पटना के सैकड़ों मुहल्लों और कालोनियों के लोगों ने अपने खर्च पर बाहर से आये लोगों की मेहमाननवाजी की. सड़कों पर हर गलियों में और नुक्कड़ों पर स्थानीय लोगों ने पानी और चाय की व्यवस्था की थी. आम लोगों के ठहरने के लिए मस्जिदों मुसाफिरखानों, मदरसों में रहने का इंतजाम किया गया. जबकि स्थानीय लोगों ने अपने खर्च पर आगंतुकों की मेहमाननवाजी की.
इस रैली का आयोजन इमारत शरिया और आलइंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मिल कर किया था. इस रैली को खानकाह मोजीबिया, इदारा शरिया, खानकाह एमादिया, जमात ए इस्लामी, जमात अहले हदीस समेत तमाम मदर्सों ने. अपना सहयोग किया.
इस रैली में अनेक प्रस्ताव पारित किया गया. जिनमें तलाक बिल को वापस लेने, दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को बंद करने, मुस्लिम व दलितों के बीच इत्तेहाद कायम करने समेत देश के संविधान को बचाने के लिए हर तैयारी करने की घोषणा की.