जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय कंवेनर अशफाक रहमान ने कहा है कि अगर उलेमा कोशिश करें तो 15 अप्रैल को मुस्लिम सियासत एक नया इतिहास रच सकता है.

अशफाक ने दी मौलाना रहमानी को सलाह

15 अप्रैल को इमारत शरिया के प्रमुख मौलाना वली रहमानी के नेतृत्व में पटना के गांधी मैदान में दीन बचाओ-देश बचाओ रैली का आयोजन हो रहा है.

अशफाक रहमान ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक अच्छी पहल है.देश में जिस तरह के हालात पैदा किये जा रहे हैं उस लिहाज से यह वक्त की जरूरत भी है. हालांकि अशफाक रहमान ने कहा कि इस रैली को जज्बाती नारों से जोड़ने की जो कोशिश हो रही है वह स्वीकार्य नहीं किया जा सकता. जेडीआर के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि इस रैली का मकसद सिर्फ दीन बचाओ तक सीमित नहीं रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि उलेमा को इस अवसर पर अपने नेतृत्व की घोषणा भी कर दें तो यह अच्छी बात होगी. क्योंकि फिलवक्त मुस्लिम समाज में नेतृत्व का संकट है.

 

गौरतलब है कि तलाक बिल, साम्प्रदायिकता, मोव लिंचिंग व बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ मौलाना वली रहमानी के नेतृत्व में दीन बचाओ-देश बचाओ रैली का आयोजन पटना के गांधी मैदान में 15 अप्रैल को की जा रही है. इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां चल रही हैं. तमाम 38 जिलों में कमेटियां गठित की गयी है. इस रैली से पहले तमाम जिलों में जागरूकता अभियान के साथ साथ जिला मुख्यालयों पर रैलियों का सिलसिला चल रहा है.

सलाह मानिये

अशफाक रहमान ने सलाह देते हुए कहा कि अगर इस तरह के आयोजनों के द्वारा बराबरी के स्तर पर किसी राजनीतिक गठबंधन का ऐलान हो तो यह ठीक रहेगा. लेकिन अगर इस रैली के बूते किसी राजनीतिक संगठन को मुसलमान खुद को सुपुर्द कर दें तो यह आत्मघाती होगा और अगले पचास साल तक  मुसलमानों को इसी तरह सियासी सुसाइड करता रहना पड़ेगा.

अशफाक रहमान ने कहा कि हम किसी( उलेमा) के नियत पर शक नहीं कर रहे हैं. अशफाक रहमान ने याद दिलाया कि हमें पिछले 70 सालों में जो अनुभव हुए हैं उस बुनियाद पर कह सकते हैं कि अब तक ऐसा ही हुआ है और हमारे उलेमा किसी न किसी राजनीतिक दल के अंधभक्ति में लीन हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी ताकत के बूते उन्हें अपने नेतृत्व का ऐलान करना चाहिए उन्होंने कहा कि हम अपना-अपना ईमान ही बचा लें तो यही काफी है. जहां तक देश बचाने की बात है तो हम जबतक अपना राजनीतिक नेतृत्व घोषित नहीं करते तब तक कुछ होने वाला नहीं है.

अशफाक रहमान ने अपने बयान में कहा कि पता नहीं हम कब अपना राजनीतिक नेतृत्व स्थापित करेंगे. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि हमें दूसरों की जीत में अपनी जीत देखने की परम्परा से अलग अपने नेतृत्व पर भरोसा करना होगा. उन्होंने कहा कि अंधभक्ति की जड़ता से निकलना होगा तभी हम  अपने ईमान के साथ साथ देश को बचा पायेंगे.

औरों का झंडा और झोला ढ़ोने के बजाये अपने नेतृत्व का हो ऐलान

अशफाक रहमान ने कहा कि भारत के मुसलमानों को रोहिंग्या और शाम के मुसलमानों की बड़ी चिंता है, जो होनी भी चाहिए लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि हमारी हालत भी रोहिंग्या मुसलमानों की तरह होती जा रही है.

अशफाक रहमान ने पूछा कि आखिर कब तक हम अपनी ताकत दूसरों को सौंपते रहेंगे?  उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि मुसलमानों ने पिछले सत्तर साल में अपनी ताकत से औरों को नेता बनाते रहे और खुद सियासी जमातों के झंडे और झोला ढोते रह गये.

अशफाक रहमान ने कहा कि 15 अप्रैल को आयोजित होने वाली रैली ऐतिहासक बने, इसके लिए तमाम मुस्लिम संगठनों, रहनुमाओं,  वभिन्न मतावलम्बियों से हिमायत हासिल की जानी चाहिए. इसे किसी एक मजहबी रहनुमा के स्वाभिमान से नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि यह यह पूरे मुस्लिम समाज के सामने चुनौती है, न कि किसी एक व्यक्ति विशेष की चुनौती.

अशफाक रहमान ने मौलाना वली रहमानी व मौलाना अनीस उर्रहमान कासमी के राजनीतिक दृष्टि की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें चाहिए कि इस रैली का सियासी लाभ कोई राजनीतिक दल ना उठा ले.

 

 

By Editor


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