Delhi MCD : मोदी के पैर से केजरीवाल ने खींच ली जमीन
Delhi MCD चुनाव खास इसलिए है कि यहीं प्रधानमंत्री मोदी रहते हैं। भले ही वे देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं, पर सारी ताकत झेंकने के बाद भी ढह गया किला।
Delhi MCD का चुनाव किसी राज्य के चुनाव से कम महत्वपूर्ण नहीं है। यहीं देश की सत्ता का केंद्र है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सारे मंत्री रहते हैं। एमसीडी चुनाव को भाजपा ने किसी प्रदेश के चुनाव की तरह ही लड़ा। कई मंत्री, सांसद प्रचार में उतरे। धन की कोई कमी भाजपा के पास है नहीं। भाजपा ने दिल्ली एमसीडी चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। 15 साल से एमसीडी पर कब्जा झटके में टूट गया। भाजपा का किला ढहने के बाद दिल्ली पर क्या असर होगा?
दिल्ली प्रदेश में शासन के तीन केंद्र हैं। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर उपराज्यपाल, राज्य सरकार और एमसीडी। अब तक उपराज्यपाल के अलावा एमसीडी पर कब्जा होने के कारण भाजपा के पास भी काफी कुछ था। अवैध बस्तियां ही नहीं, मुहल्ले में अतिक्रमण हटाने के नाम पर भी खास वर्ग और विरोधी पक्ष को परेशान करने की शिकायतें आम रही हैं। अब भाजपा के हाथ से वह हथियार निकल गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही देश के सबसे लोकप्रिय नेता हों, पर दिल्ली की जनता ने उनके पैर के नीचे से जमीन खींच ली है। एमसीडी की हार से प्रधानमंत्री की लोकप्रियता और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर प्रधानमंत्री मोदी पर दिल्ली की जनता को भरोसा क्यों नहीं है? क्या लोग समझ गए हैं कि प्रधानमंत्री हिंदुत्व के नारे भले उछाल सकते हैं, लेकिन जनता के बुनियादी सवाल हल नहीं कर सकते। पानी, साफ-सफाई, स्कूल, शिक्षा जैसे सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा किसी काम की नहीं है।
एमसीडी पर कब्जे का इस्तेमाल भाजपा ने हिंदुत्व की राजनीति यानी धर्म के आधार पर भेदभाव की राजनीति को बढ़ावा देने के लिए किया। जहांगीरपुरी में खास समुदाय के लोगों की दुकान और मकान तोड़ने का वाकया याद होगा। जब बुलडोजर के आगे सीपीएम नेता वृंदा करात खड़ी हो गई थीं और सुप्रीम कोर्ट से कपिल सिब्बल ने बुलडोजर पर रोक का आदेश हासिल किया था। उस समय भी आदेश की कॉपी नहीं मिलने के नाम पर बुलडोजर चलते रहे थे। एमसीडी चुनाव परिणाम से साबित होता है कि दिल्ली की जनता ने न सिर्फ बेहतर नागरिक सुविधाओं के लिए वोट किया, बल्कि हिंदुत्व की राजनीति को भी नाकार है।
खबर लिखे जाने तक आप को 134, भाजपा को 104 तथा कांग्रेस को 9 सीटें मिली हैं।
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