दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में एक हजार लोगों के फंसे होने पर तबलीगी जमात ने प्रमाणिक दस्तावेज पेश कर प्रशासन की लापरवाही को बेनकाब कर दिया है.
तबलीगी जमात ने लाकडाउन के कारण फंसे 1000 लोगों को निकालने के लिए निजामुद्दीन थाने के एसएचओ को लिखित आवेदन दिया था. आवेदन में उनकी गाड़ियों के लिए कर्फ्यु पास निर्गत करने का आग्रह किया गया था. लेकिन पुलिस प्रशासन ने इस आवेदन पर कोई कार्वाई नहीं की.
तबलीगी जमात के मोहम्मद युसुफ के इस आवेदन पत्र को निजामुद्दीन थाना के अधिकारी ने बाजाब्ता रिसिव किया था. इसके बावजूद उन्हें कर्फ्यु पास निर्गत नहीं किया गया. एक जगह पर एक हजार लोगों के फंसे होने के कारण कोरोना संक्रमण बड़ी तेजी से फैलने का खतरा था. खबरों के अनुसार निजामुद्दीन के इलाके में कोई 200 लोगों में कोरोना जैसे लक्षण पाये गये.
संक्रमण की इस खबर के बाद सोशल मीडिया पर तबलीगी जमात के खिलाफ ट्रोलिंग शुर कर दी गयी. कई जिम्मेदार लोगों ने भी बिन सोचे तबलीगी जमात के अधिकारियों के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी. अनेक लोगों ने कहा कि तबलीगी जमात के लोग लाकडाउन का उल्लंघन करके इज्तेमा कर रहे थे.
याद रहे कि नफरत भड़काने वाले कुछ मीडिया ने खबर फैलाई थी कि तबलीगी जमात ने लाकडाउन का उल्लंखन करके इज्तेमा का आयोजन कर रहे हैं. मीडिया की खबरों के बाद दिल्ली सरकार ने मरकज के अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की घोषणा भी कर दी. लेकिन तबलीगी जमात के दिल्ली पुलिस के साथ हुए पत्राचार से अब साफ हो गया है कि अचानक हुए लाकडाउन की घोषणा के बाद मरकज ने अपना कार्यक्रम रोक दिया और हजारों लोगों को उनके घरों को भेजने के लिए पुलिस से वाहन पास की लिखित अनुमति भी मांगी. लेकिन पुलिस ने अनसुनी कर दी.
हालांकि तबलीगी जमात के द्वारा जब, पुलिस अफसरान के साथ हुए पत्राचार को सार्वजनिक कर दिया है तो अब पुलिस प्रशासन की लापरवाही सामने आ गयी है.
सवाल यह उठता है कि 23 मार्च तक इज्तेमा का आयोजन किया गया था. 24 तारीख तक कोई 1500 तबलीगी अपने अपने घरों को लौट चुके थे. बाकी 1000 तबलगी अपने घरों को जाने की तैयारी कर रहे थे इसी दौरान 24 की रात में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लाकडाउन की घोषणा कर दी. इस घोषणा के चंद घंटों बाद ही तबलीगी जमात ने पुलिस को सूचित कर दिया था कि उसके मरकज में एक हजार लोग फंसे हैं. इस लिखित सूचना के बावजूद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया.
वरिष्ठ पत्रकार वरखा दत्त ने पुलिस के साथ हुए पत्रचार को पढ़ने के बाद सवाल उठाया है कि इस मामले में पुलिस की लापरवाही की जांच होनी चाहिए.