धार्मिक मुद्दा पीछे छूटा, कर्नाटक में नंदिनी-अमूल विवाद में फंसी BJP

कांग्रेस ने नंदिनी मिल्क को बनाया कर्नाटक की प्रतिष्ठा का सवाल। कहा, गुजरात का अमूल आया तो कर्नाटक के 26 लाख पशुपालक किसान बेरोजगार हो जाएंगे।

कर्नाटक में चुनाव में महीना दिन भी नहीं बचा है। इस बीच एक नए मुद्दे के कारण भाजपा परेशानी में पड़ गई है। कर्नाटक में नंदिनी मिल्क उसी तरह है, जैसे बिहार में सुधा। नंदिनी मिल्क से 26 लाख किसान जुड़े हैं, जो पशुपालन करते हैं और नंदिनी मिल्क फेडेरेशन से जुड़े हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा कर्नाटक के ब्रांंड नेम नंदिनी को बर्बाद करना चाहती है। वह गुजरात के अमूल को कर्नाटक में बढ़ावा देना चाहती है।

कांग्रेस ने सोमवार को सीधे गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया। कहा कि अमित शाह चाहते हैं कि नंदिनी की पहचान खत्म हो जाए। कांग्रेस ने कहा कि अमित शाह गुजरात के बाहर अधिक से अधिक को-ऑपरेटिव पर कब्जा करना चाहते हैं. जिसका चुनाव के समय गलत इस्तेमाल किया जा सके।

कांग्रेस ने कहा कि चार महीना पहले दिसंबर, 2022 में अमित शाह ने अपने कर्नाटक दौरे में कहा कि अमूल और नंदिनी को कोलाबरेट करना चाहिए। पिछली बार कांग्रेस सरकार ने नंदिनी मिल्क से जुड़े किसानों को पांच रुपए प्रति लीटर इंसेटिव दिया था। इसके कारण दूध का उत्पादन काफी बढ़ा। 2014 में 43 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता था, जो चार साल में भड़कर 2019 में 75 लाख लीटर हो गया। भाजपा सरकार ने दूध उत्पादक किसानों की इंसेटिव नहीं बढ़ाई, जिससे उत्पादन घट कर 70 लाख लीटर हो गया।

कांग्रेस ने विज्ञप्ति जारी करके भाजपा पर कर्नाटक विरोधी होने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने विज्ञप्ति में कहा कि दरअसल यह लड़ाई कांग्रेस द्वारा स्थापित नंदिनी फेडेरेशन और अमुल के बीच नहीं है, बल्कि अमित शाह गुजरात के बाहर के कोआपरेटिव पर कब्जा करना चाहते हैं। नंदिनी से 26 लाख किसान जुड़े हैं और कुल मिला कर एक करोड़ 25 लाख लोग किसी न सिसी रूप में जुड़े हैं। कांग्रेस ने जिस तरह नंदिनी को चुनावी मुद्दा बना दिया है, उससे भाजपा को चुनाव में परेशानी हो सकती है। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सीतारमैया ने भाजपा की बोमई सरकार पर कर्नाटक की प्रतिष्ठा को बर्बाद करने का आरोप लगाया है। याद रहे नंदिनी फेडेरेशन से जुड़े अधिकतर किसान पुराने मैसूर के इलाके में हैं, जहां वोकालिगा आबादी है और जिस पर पहले से कांग्रेस और जेडीएस का प्रभाव अधिक है।

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