ढोंगी देशभक्तों को पहचानिए, तिरंगे के इतिहास से की छेड़छाड़
एक पत्रकार ने पहली बार तिरंगा फहराने के क्लिप के साथ की छेड़छाड़। नेहरू के आगे खड़ी हो गई, क्या वह प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा छिपाने की हिम्मत कर सकती है?
कुमार अनिल
बाजार में नकली सामान ही नहीं मिलते, बल्कि नकली पत्रकार भी होते हैं। वे कहने को पत्रकार हैं, पर किसी खास एजेंडा को आगे बढ़ाते हैं। आजतक की एंकर श्वेता सिंह ने देश के ऐतिहासिक पल के साथ छेड़छाड़ की और खुद इस तरह खड़ी हो गईं कि नेहरू का चेहरा ही नहीं दिखे। श्वेता सिंह के इस ‘कारनामे’ को लेखक अशोक कुमार पांडेय ने नैतिक अपराध की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा- यह पत्रकारिता नहीं नैतिक अपराध है। अक्षम्य नैतिक अपराध। इस चैनल ने आज गिरने की एक और सीमा सफलतापूर्वक पार कर ली है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा-स्वतंत्र आसमान में लहराते तिरंगे को दिखाने के लिए क्रोमा पर आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू को सामने खड़े हो कर उन्हें छुपाना – कौन सी मजबूर पत्रकारिता है @SwetaSinghAT जी?
आज तक की एंकर श्वेता सिंह ने इतिहास के साथ छेड़छाड़ वाले वीडियो के साथ लिखा -जब पहली बार स्वतंत्र आसमान में हमारा तिरंगा लहराया था, ठीक उसी समय उभरा था एक इंद्रधनुष। दुनिया के सबसे महान राष्ट्र भारत के सबसे भावुक 24 घंटे। शनिवार रात 8 बजे। श्वेता सिंह किस प्रकार नेहरू के आगे खड़े होकर उन्हें छिपाने की कोशिश कर रही हैं, आप भी देखिए-
आरएसएस और भाजपा नेहरू की आधुनिक विचारधारा से घबराते हैं। नेहरू की लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता के मूल्य उनकी राह में बाधा हैं। वे नेहरू का नाम मिटाने में लगे हैं, पर मिटता नहीं। ठीक उसी कोशिश का हिस्सा है श्वेता सिंह का इतिहास से छेड़छाड़। कुछ लोग इतिहास को नए सिरे से लिखने की बात करते हैं, लेकिन ऐतिहासिक तथ्यों को छिपाना, इतिहास के नायकों को छिपाना कोई देशप्रेमी का काम नहीं हो सकता। ऐसा करनेवाला कोई ढोंगी हो सकता है। ढोंगी पत्रकार से उसी तरह सावधान रहने की जरूरत है, जैसे आप नकली सामान से सजग रहते हैं।
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