बिहार सरकार के मंत्री और हम (से) के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सुमन नुक्कड़ सभा करने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह जैसे बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करना तो दूर प्रदेश स्तर के भाजपा नेता भी उनके साथ मंच साझा नहीं कर रहे।
बिहार में महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ नई एनडीए सरकार के गठन में हम (से) की बड़ी भूमिका थी। लेकिन लगता है सिर्फ चार महीने बाद हो रहे लोकसभा चुनाव में हम के अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सुमन की उपयोगिता खत्म हो गई है।
नौकरशाही डॉट कॉम ने डॉ. संतोष कुमार सुमन के सोशल मीडिया एक्स पर नजर दौड़ाई, तो दस दिनों में एक भी ऐसी तस्वीर नहीं दिखी, जिसमें वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी या जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा के साथ मंच साझा कर रहे हों। उन्हें प्रखंड और पंचायत स्तर के नेताओं के साथ प्रचार करते देखा जा सकता है।
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भाजपा और एनडीए की सभाओं में लाखों खर्च करके बड़े-बड़े मंच बन रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अलग सभाएं कर रहे हैं। लेकिन उनके साथ भी डॉ. संतोष सुमन को नहीं देखा जा रहा है। वे 16 मई को पूर्वी चंपारण के केसरिया विधानसभा क्षेत्र की एनडीए बैठक में शामिल थे यानी प्रखंड स्तर और जिला स्तर के नेताओं के साथ मंच साझा कर रहे थे। कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत के पूरन छपरा चौराहे पर एनडीए के कार्यालय के उद्घाटन में वे शामिल थे, जिसकी तस्वीर उन्होंने खुद ही सोशल मीडिया एक्स पर शेयर की है। तस्वीर में साफ दिख रहा है कि कोई मंच तक नहीं है। ऊपर शामियाना तक नहीं है। पेड़ के नीचे सभा हो रही है, जिसमें कुछ दर्जन भर लोग हैं। स्पष्ट है उन्हें चौराहे पर हो रहे कार्यक्रमों में भेजा जा रहा है, लेकिन बड़े मंचों पर नहीं। लोग सवाल कर रहे हैं कि जिसने राज्य में नई सरकार बनाने में ईमानदारी से भूमिका निभाई, उसी एनडीए में उनकी इतनी उपेक्षा क्यों हो रही है।