दुर्गा पंडाल में सैकड़ों जूतों का प्रतीक चर्चा में, भाजपा गर्म

बंगाल के दुर्गा पंडाल थीम, कलात्मकता और सृजनात्मकता के लिए देश ही नहीं, विश्व विख्यात हैं। इस बार लखीमपुर में किसानों की हत्या, आंदोलन के कई प्रतीक।

फोटो द टेलिग्राफ से साभार।

पहले पटना के कुछेक पूजा पंडाल की सजावट भी सत्ता से तीखे सवाल करने के लिए जानी जाती थी, पर अब बिहार की पूजा समितियां सत्ता से टकराने का जोखिम नहीं लेना चाहतीं, लेकिन बंगाल नहीं बदला है। बंगाल के पूजा पंडाल को देखने बड़ी संख्या में विदेशी भी आते हैं।

बंगाल के एक पूजा पंडाल में ऐसे प्रतीक दरसाए गए हैं, जिससे भाजपा परेशान है। यहां लखीमपुर किसान आंदोलन को कलात्मक रूप से दिखाया गया है। पंडाल में किसान आंदोलन को जमीन से निकलते विशाल हाथ के रूप में दिखाया गया है। कोलकाता से प्रकाशित होनेवाले द टेलिग्राफ अखबार ने अपने डिजिटल एडिशन में यह खबर प्रकाशित की है। अखबार लिखता है कि दमदम पूजा पंडाल में प्रवेश करने के रास्ते में कपड़ों की दीवार बनाकर उसपर सैकड़ों जूते रखे गए हैं। जूते इस प्रकार रखे गए हैं, जैसे कोई प्रतिवाद जुलूस में बड़ी संख्या में लोग जा रहे हों।

बंगाल भाजपा ने पंडाल में जूतों के जरिये किसान आंदोलन को प्रतीक रूप में प्रस्तुत करने पर विरोध किया है। पार्टी ने कहा कि इससे हिंदू भावना आहत होती है। सुवेंदू अधिकारी ने कहा कि पूजा समिति ने जघन्य काम किया है। भाजपा नेता तथागत राय ने कहा कि कला के नाम पर कुछ भी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

भाजपा के विरोध को दमदम पूजा पंडाल समिति ने खारिज कर दिया है। समिति ने कहा कि जूतों से पूजा स्थल दूर है। पूजा स्थल को धान के ढेर से सजाया गया है। पूजा समिति ने कहा कि इस बार का हमारा थीम किसान आंदोलन है। ये जूते किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज के बाद की स्थिति को दिखाता है। लाठीचार्ज से किसान भागने को मजबूर हैं। यही दिखाया गया है।

दरअसल बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी ने किसान आंदोलन को मुद्दा बनाया हुआ है। इसके जरिये वे भाजपा को किसान विरोधी बता रही हैं। पूजा पंडालों में किसान आंदोलन के प्रतीक देखकर भाजपा परेशान है।

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