बिहार विधानसभा चुनाव-2025 में सत्ता की चाबी अतिपिछड़ों के पास है। खबर है कि इस बार महागठबंधन राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 70 से 80 सीटों पर अतिपिछड़ा वर्ग के प्रत्याशी उतार सकता है। ऐसा हुआ, तो भाजपा और जदयू सत्ता से बहुत दूर हो जाएंगे। एनडीए में सबसे ज्यादा चिंता इसी बात को लेकर है।
दरअसल पिछले दिनों पटना में अतिपिछड़ा जगाओ रैली में तेजस्वी यादव ने भरी सभा में एलान कर दिया कि उनकी पार्टी इस बार दोगुना से तिगुना तक अतिपिछड़े वर्ग के प्रत्याशी उतारेगी। उन्होंने कहा था कि आर हमारे साथ चार कदम चलेंगे, तो हम 16 कदम चलेंगे।
वर्ष 2020 में राजद ने अपने 144 प्रत्याशियों में सिर्फ 23 अतिपिछड़ा प्रत्याशी दिए थे। तेजस्वी यादव की घोषणा के मुताबिक अब यह संख्या 50 के आसपास होगी।
इधर कांग्रेस भी पूरी तरह बदल गई है। जहां पिछले चुनाव में कांग्रेस ने अपने 70 प्रत्याशियों में 34 सवर्ण प्रत्याशी दिए थे, जबकि अतिपिछड़ों को कम ही मौका दिया था। इस बार यह उल्टा हो सकता है। माना जा रहा है कि कांग्रेस भी सबसे ज्यादा अतिपिछड़ों को टिकट देगी।
वाम दलों का वैसे भी जनाधार दलितों-अतिपिछड़ों में ही है। इसीलिए वाम दल भी अतिपिछड़ों को पहले की तरह टिकट देंगे।
अब तक राज्य के अतिपिछड़े नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर उन्हें वोट देते रहे हैं, जिसका फायदा भाजपा के सवर्ण उम्मीदवारों को भी मिलता रहा है। अब जबकि महागठबंधन के अतिपिछड़ा प्रत्याशी होंगे, तब उनके वोट पहले की तरह भाजपा को नहीं मिलेंगे। इसी बात को लेकर एनडीए में माथापच्ची चल रही है।
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