एक तरफ चुनावी तैयारियों के बीच बिहार में नौकरशाहों का थोक भाव में तबादला हुआ है वहीं चुनाव आयोग ने ब्लेक लिस्टेड अफसरों की सूची राज्य सरकार को थमा दी है जिन्हें चुनावी काम से बाहर रखा जाना है.
राज्य में निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है. ऐसे में वह सुनिश्चित करता है कि ऐसे किसी अफसर को चुनावी काम में न लगाया जाये जिन पर किसी दल के पक्ष या विपक्ष में काम करने का आरोप साबित हो चुका है.
सूत्र बताते हैं कि बिहार में ऐसे आईएएस, आईपीएस और राज्य सेवा के आठ अफसरों की सूची चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को थमा दी है जिन्हें किसी भी हाल में चुनावी जिम्मेदारियों से मुक्त रखा जाना है. इन अफसरों के नाम एक एक कर सामने आये हैं. इन अफसरों में आईएएस अफसर पंकज पाल का नाम शामिल है. जबकि छपरा में बतौर एसपी रहे आईएपीएस अफसर सत्यवीर सिंह का नाम भी शामिल है जिन्हें चुनावी ड्युटी नहीं दी जायेगी.
सत्यवीर पर 2014 में कुछ राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग के खिलाफ शिकायत की थी.
बिहार पुलिस सेवा के दो अफसरान तौहीद परवेज और मनीष कुमार सिन्हा को भी राज्य सरकार किसी ऐसे पद पर नहीं रख सकती जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चुनाव से जुड़े हों.
गौरतलब है कि चुनाव के दौरान नौकरशाहों की तैनाती में आयोग का फैसला अंतिम होता है. नौकरशाही के गलियारे की जानकारी रखने वाले बताते हैं कि जिन अफसरों को चुनाव आयोग ब्लैक लिस्टेड कर देता है उनके करियर पर इसका नाकारात्मक प्रभाव पड़ता है वहीं दूसरी तरफ ऐसे अफसरों पर से जनता और राजनीतिक दलों का विश्वास भी कम हो जाता है.
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