Editorial Comment: Rafale पर मोदी सरकार की हालत झूठ पर झूठ बोलने वाले गदेड़िया से भी बुरी हो चुकी है
Editorial Comment में हमारे एडिटर इर्शादुल हक बता रहे हैं कि Rafale पर मोदी सरकार की हालत झूठ पर झूठ बोलने वाले गदेड़िया से भी बुरी हो चुकी है
राफेल सौदे पर मोदी सरकार की हालत उस गदेड़िये जैसी अविश्सवनीय हो गयी है जो गांव वालों को तंग करने के लिए भेड़िया आया की अफवाह उड़ाता था.पर एक दिन सचमुच भेड़िया तो गांव वालों की उसकी सच बात भी अफवाह लगी. नतीजा यह हुआ कि भेड़िये की जद में गदेड़िया की बकरियां आ गयीं.
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राफेल मामले में मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी साथ ही अनिल अंबानी के उस मामले में फ्रांस की कम्पनी का पार्टनर बनने में धोखाधड़ी के आरोप को भी निरस्त कर दिया.
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लेकिन अचानक मोदी सरकार की विश्वसनीयता उस समय घेरे में आ गयी जब राहुल गांधी अपने आरोपों पर अड़े रहे और दूसरे ही दिन झूठ पकड़े जाने का सुबूत सामने आ गया. सुप्रीम कोर्ट के क्लिन चिट के फैसेले के दूसरे ही दिन केंद्रसराकर ने एक नया हल्फनामा अदालत में पेश किया जिसमें उसने अदालत के लिखित फैसले में कुछ शब्दों के प्रयोग पर गलती स्वीकारी. अदालत का फैसला था सीएजी ने ऱाफेल मामले को पार्लियामेंट की लोकलेखा समिति को पेश की थी.
इस मामले की समीक्षा पीएसी ने की थी और पार्लियामेंट में पेश किया गया जो अब यह रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में मौजूद है.
टेलिग्राफ अखबार ने केंद्र के नये हलफनामे को, जो उसने सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को दाखिल किया है उस पर खबर छापी है. इसके मुताबिक केंद्र ने गलती माना है कि राफेल डील से संबंधित रिपोर्ट सीएजी ने लोकलेखा समिति यानी पीएसी को नहीं सौंपी है. सरकार की टाइपिंग मिस्टेक से इस मामले में कोर्ट ने गलत व्याख्या कर दी. सरकार ने हलफनामे में कहा है कि सीएजी अपनी रिपोर्ट पीएसी को सौंपती है तब यह पब्लिक डोमेन में जाता है.
इस प्राकार राहुल गांधी ने कल प्रेस कांफ्रेंस करके जो आरोप लगाया था वह बिल्कुल सही साबित हो जाता है. राहुल ने कहा था कि सीएजी ने ऐसी कोई रिपोर्ट पार्लियामेंट की पीएसी कमेटी को नहीं सौंपी. राहुल ने यहां तक कहा था कि क्या यह रिपोर्ट फ्रांस की पार्लियामेंट कमिटी को सौंपी गयी ?
इस मामले राहुल की आक्रामकता में आत्मविश्वास झलकती है. वह जोर दे कर दोहराते हैं कि चौकीदार चोर है. मोदी ने अपने मित्र अनिल अंबानी को तीस हजार करोड़ का फायदा पहुंचाया है. पार्लियामेंट जब इसकी जांच करेगी तो मोदी लाख छुपना चाहें बच नहीं पायेंगे.
अब जब केंद्र सरकार ने अपनी गलती मान ली है तो यह साबित हो जाता है कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ परोसा जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने राफेल खरीद मामले में उसे क्लीन चिट दे दी.
इस सफेद झूठ के कारण मोदी सरकार की बदनियती, झूठ और फरेब उजागह हो गया है. उसकी बची खुची विश्वसनीयता मिट्टी में मिल गयी.